इस पुस्तक में संकलित सभी लेख बीते दो दशकों में अलग-अलग समय के हैं। ज्यादातर लेख संगोष्ठियों में प्रतिभाग और संबंधित वक्तव्य के लिए, कुछ शोध जर्नल और पत्रिकाओं एवं कुछ संपादित पुस्तकों के लिए लिखे गए हैं।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से संबद्ध मथुरा प्रसाद स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोंच, जालौन में चौदह वर्षों तक हिंदी का अध्ययन-अध्यापन करते हुए यथा-अवसर, यथा-प्रसंग इन लेखों को लिखा गया है। ये आलेख शोध-धारा, साधना, बहुभाषिक शोध जर्नल प्रिंटिंग एरिया, पूर्वापर, वाग्प्रवाह, अक्षर वार्ता, वागर्थ और क्रौंच रश्मि जैसी पत्रिकाओं के अलग-अलग अंकों एवं विभिन्न संपादित पुस्तकों में प्रकाशित हैं। इन लेखों के प्रकाशन की सूचना यथासंभव प्रत्येक लेख के अंत में कोष्ठक में दी गई है।
इक्कीसवीं सदी के शुरुआती दो दशकों में लिखे गए साहित्य, समाज, भाषा, वर्तनी आदि विविध विषयों से संबंधित ये लेख हिंदी प्रदेशों में मानविकी और समाज विज्ञान की अकादमिक सक्रियता की एक आंशिक झलक के रूप में देखे जा सकते हैं, क्योंकि तत्कालीन अकादमिक गतिविधि यथा, साहित्यिक, साहित्येतर संगोष्ठियों, शोध पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं के अंक- विशेषांक या पुस्तक संपादन के क्रम में इन्हें लिखा गया है।
अगर इस पुस्तक में शामिल लेख संबंधित विषय को समझने और नई दृष्टि के स्फुरण में थोड़ी-भी मदद करेंगे, तो मैं अपने श्रम को सार्थक समझूँगा।