बाबा साहब डॉ॰ अंबेडकर कभी भी धर्म विरोधी नहीं रहे। वह धर्म को मानवता के लिए आवश्यक मानते थे। उनका परिवार कबीर पंथी था और वे जीवन के प्रारम्भ से ही संत कबीर कि शिक्षाओं से प्रभावित रहे थे। उनके परिवार में संत कबीर के भजन और उनकी वाणी का नियमित पाठ होता था, जिसका प्रभाव उनके व्यक्तिगत जीवन पर पड़ा और वह अंधविश्वास, जातिवाद की भीषण शोषणवादी विचारधारा के विरोध में खुलकर सामने आए।