खींच के बैठाओ तब भी न पढ़े ऐसी पीढ़ी में किताब में लिख कर समझाना सोचिये कितना कठिन होगा . पर जो लिखा है वह बोल नहीं पा रहा हूँ . लिखा भी ऐसे की कोई ऊपर ऊपर पढ़ ले तो भाव ही नहीं समझे . एक नाजुक तार है उसे छेड़ा है . हसाने की कोशिश की है , भाव भी समझाने की कोशिश की है . आशा है आपको पसंद आये . अलेश्वर नाम के शहर को बनाया है उसमे कई गाड़िया बनायीं है और उनके आकार के आधार पर थोड़ी सी बहस को दिखाया है . किताब जब तक ख़तम होगी तब आपको एहसास होगा की बात गाड़ियों की है ही नहीं .
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