गौरवशाली कानपुर
गौरवशाली कानपुर...। जी हां, भारत के प्रांत उत्तर प्रदेश का शहर कानपुर का अपना एक शानदार एवं गौरवशाली इतिहास है तो वहीं इसका बेबाकपन, अल्हड़पन, बोली-बानी में मिठास, रहन-सहन-पहनावा, मिजाज आदि इत्यादि बहुत कुछ खास है। शायद इसीलिए कनपुरिए कुछ अलग ही दिखते हैं। गंगा की गोद में रचा-बसा कानपुर कला एवं संस्कृति के लिए भी दुनिया में जाना-पहचाना गया। उत्तर दिशा में गंगा दर्शन हैं तो कानपुर की दक्षिणी सीमा में गंगा की सहोदरी यमुना प्रवाहमान है। खान-पान, स्वाद-चटखारे में भी कानपुर किसी से पीछे नहीं। बातचीत-बोलचाल में चुटीलापन न हो... ऐसा हो नहीं सकता। ऐसा कोई सगा नहीं, जिसका हमने ठगा नहीं... यह स्लोगन कानपुर के प्रसिद्ध 'ठग्गू के लड्डू" का है। खोआ-मावा आैर मेवा के यह लड्डू देखते ही निश्चय मुंह में पानी न आ जाए... यह हो नहीं सकता। बनारसी की चाय... जी हां, कनपुरियों की तो आंख ही इस चाय की दुकान पर खुलती है। अशोक नगर स्थित बनारसी की चाय की दुकान पर सुबह से देर रात तक शहरियों की भीड़ लगी ही रहती है। चाय का स्वाद... या फिर चाय में कोई जादू... कुछ भी हो कनपुरिए की पसंद है बनारसी की चाय। मलइय्यो का स्वाद नहीं चखा तो कुछ भी नहीं खाया। मलइय्यो व केशरिया दूध का गिलास मिलेगा बिरहाना रोड, नयागंज, जनरल गंज, काहूकोठी, सिरकी मोहाल, मूलगंज, शिवाला सहित आसपास के इलाकों में सुबह से दोपहर तक। कहे भी भले ही जायें इलाहाबाद के लेकिन कानपुर के इलाहाबादी समोसे भी स्वाद में कम नहीं। सुबह का नाश्ता समोशा-दही-जलेबी... स्वाद के क्या कहने। '
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