यह पुस्तक बताती है कि माता-पिता, भाई-बहन किस प्रकार अपनी ही सगी बेटी, बहन से कैसा व्यवहार रखते हैं। पहले अध्याय में बताया गया है कि किस तरह से उस लड़की ने अपना बचपन बिताया। इसके बाद उस लड़की ने आपस में अपनी परेशानियों के बारे में बातचीत करनी शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे उसे अपनी परेशानियों, समझ में न आने वाली बातों के पीछे नफ़रत अलगाव, अनेक बातों को सोचना शुरू कर दिया। आज इस बात को इस किताब में और अपने आसपास के माहोल में भी देखा जा सकता है।
आज से कुछ साल पहले लोगो ने बेटे बेटियो में किसी भी तरह का वेदभाव न करना सीख ही
लिया था। उसके बाद ही लोगों ने देवी के रूप ने बेटियो को पूजना शुरू किया था। लेकिन ऐसा सच में हुआ नहीं, सुनने में नहीं आता लेकिन आज भी घर में बेटियां सुरक्षित नहीं
है, उनमें अलगाव की भावना आने लगती है, खुद से नफ़रत करने लग जाती है। जिसकी वजह कोई और नही हम खुद होते हैं जिस प्रकार हम बेटों से प्यार करते हैं अच्छे जीवन की कामना करते है वैसा लडकियो से
क्यू नही?
तो ये कहानी भी एक ऐसी ही लड़की की ही जिसे न चाहते हुए भी बार बार धोखा मिलता गया और वो बिखरती गए.. . और फिर आता ही उसकी कहानी में नया मोड़... उसे जानने के लिए
कृपया किताब को अंत तक पढ़े।