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Gyan Maarg Se Ishwar Ko Pahichane / ज्ञान मार्ग से ईश्वर को पहिचाने

Author Name: Suresh Kumar Pareek | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

क्या आप ईश्वर को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जानना चाहते हैं? मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपके विचारों में ईश्वर को लेकर पूर्ण रूप से स्पष्टता आ जाएगी।

इस पुष्तक में 650 ईस्वी से पहले अस्तित्व में रहे विस्तृत भारतवर्ष के ऐतिहासिक एवं भौगोलिक पृष्ठभूमि की एक संक्षिप्त झलक प्रस्तुत की गई है।

ईश्वर का तीन भागो में – भौतिक सत्ता, समय और सार्वभौमिक चेतना के रूप में अध्ययन किया गया है।

त्रिदेवों के वास्तविक स्वरूपों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया गया हे। ईसाई धर्म के ट्रिनिटी से और इस्लाम के अल्लाह से उनके संबंध को स्पष्ट किया गया हे। देवी अम्बा से भगवान दत्तात्रेय की उत्पत्ति, देवी अनसूया और त्रिदेव से उनके संबंध को स्पष्ट किया गया है। भगवान राम, राधा- कृष्ण और ओंकार के वास्तविक स्वरूपों की व्याख्या की गई है।

देवी दुर्गा, 52 भैरवों और 64 योगिनियों की वास्तविकता और उनके खगोलीय समय से संबंधों की व्याख्या की गई है। बौद्ध धर्म के पंचशील और अष्टांगिक मार्ग, जैन धर्म के पाँच महाव्रत और देवी गायत्री का वर्णन किया गया है। हिंदू धर्म के पाँच पांडवों की जोरोअस्ट्रियन धर्म के 101 कौरवों से ग्रहों की गतियों की सहायता से तुलना की गई है। बौद्ध धर्म के 73 प्रकार के ज्ञान और हिंदू धर्म के मृत्यु संस्कारों के बीच संबंध को स्पष्ट किया गया है। इस्लामी माला के 99 मनकों और हिंदू तथा बौद्ध माला के 108 मनकों के पीछे के कारण को बताया गया है। महाभारत के पात्र बर्बरीक के तीन बाणों के संधान से सम्पूर्ण युद्ध के समापन की क्षमता को वैज्ञानिक आधार पर वर्णित किया गया हे। कौरवों और पांडवों की सेनाओं के आकार के अनुपात (11:7) के पीछे के कारण को समझाया गया है। 14 भुवनो और त्रिभुवन की व्याख्या की गयी  हे। चार युगों की समयावधि और उसके पीछे के कारणों का वर्णन किया गया है, और उसकी पृथ्वी के प्रमुख काल चक्रों से तुलना की गई है।

चेतन मन और अवचेतन मन का ईश्वर से संबंध स्पष्ट किया गया हे। आत्मा और ईश्वर के वास्तविक स्वरुप का वर्णन और आत्मा के 33 + 3 प्रकार के देवताओं से सम्बन्ध को वैज्ञानिक आधार स्थापित किया गया हे। विषय को सरल बनाने हेतु 25 चित्रों का उपयोग किया गया हे।

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सुरेश कुमार पारीक

भारत के कर्णाटक राज्य के तुमकुरु में रहने वाले श्री चम्पालाल पारीक एवं तुलसी देवी पारीक के पुत्र 50 वर्षीय सुरेश कुमार पारीक का जन्म राजस्थान राज्य के नागौर जिले के डेगाना कस्बे में हुआ। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नागौर से पूर्ण की। उच्च शिक्षा हेतु कर्नाटक राज्य के तुमकूर में स्थानांतरित हुए। बंगलौर विश्वविद्यालय से बी.एससी. एवं एम.बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। पिछले 25 वर्षों से कंप्यूटर बिक्री से संबंधित पारिवारिक व्यवसाय में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विषयों में गहन रूचि होने के कारण इन्होने कुछ साइंटिफिक पेपर्स भी प्रकाशित किये। अंग्रेजी की पुस्तक "नौ दे गॉड थ्रू दे लेंस ऑफ़ साइंस" को 2024 में प्रकाशित किया।

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