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Hindi Gazal Mein Abhivyakt Rashtriya Aur Samajik Chetna (1857-1947) / हिंदी ग़ज़ल में अभिव्यक्त राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना (1857-1947)

Author Name: Dr. Ajay Kumar | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

आपने हिंदी ग़ज़लें तो बहुत पढी होंगी लेकिन इस किताब में वो ग़ज़लें हैं जो हमारे साहित्य और इतिहास के उस काल की हैं जब ग़ज़लें खून से लिखी जा रहीं थी। इस पुस्तक में 1857-1947 के बीच लिखी गई ग़ज़लों को खोज-खोजकर सहेजा गया है तथा साथ ही इनका विश्लेषण राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना की सफल अभिव्यक्ति की दृष्टि से भी किया गया है।

यह पुस्तक अपने आप में इस प्रकार की पहली पुस्तक है क्योंकि अभी तक इस काल की ग़ज़लों का अध्ययन विश्लेषण शोधार्थियों एवं आलोचकों द्वारा नहीं किया गया है।

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डॉ. अजय कुमार

डॉ. अजय कुमार ‘अजेय‘ का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गाँव से ही आरंभ हुई लेकिन बाद में परिवार के साथ दिल्ली आना पड़ा और शेष शिक्षा दिल्ली से ही पूर्ण हुई। कई विभागों में सेवाएं देने के बावजूद, हिंदी ग़ज़ल से लगाव में रत्ती भर भी ह्रास नहीं हुआ। यह लेखक का पुस्तक रूप में पहला प्रयास है।

अपने बारे में ज्यादा पूछने पर मुस्कुराते हुए ग़ालिब साहब को याद करते हैं और कहते हैं कि - कोई बतलाये कि हम बतलाये क्या......

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