विधि की योजना में भाग्य बड़ा या कर्म? क्या भाग्य पूर्व निर्धारित है पिछले जन्मों के ऋणों के कर्म के बंधन में होने से? क्या भाग्य को वास्तु और अन्य उपायों के कर्म से बदला जा सकता हैं?
लेखक ने इसे समझाने की कोशिश की है पौराणिक कहानियों के माध्यम से ।
कारण-और-प्रभाव दर्शाता है कि कैसे विभिन्न घटनाएँ ब्रह्मांड की मदद से एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं इसलिए आपके जीवन में सब कुछ किसी न किसी कारण से होता है जिसका अर्थ है कि ब्रह्मांड ने पहले से ही आपके लिए विधि की योजना बना रखी है जिसको हम मोह माया भी बोलते है और उसमे फंसकर आप हमेशा अपने कर्म करने के लिए बाध्य या मजबूर रहते हैं। यह पुस्तक, पुराणों की कहानियों और किवदंतियों के माध्यम से भाग्य बनाम कर्म को समझाने का एक प्रयास है जो ये बताता है की पिछले जन्मों के कर्म और श्राप वर्तमान जीवन में प्रारब्ध के रूप में प्रकट होते हैं जो हमें कर्म बन्धन के चक्र में बांधे रखते है जिनको काटने के लिए हम वास्तु, नाम बदलना, मंत्र जाप या फिर कोई और किसी भी तरह का कोई आधुनिक उपाय करने की कोशिश करते है। पौराणिक कहानियों से हम क्या सीखते है जहाँ तक वास्तु, नाम बदलना इत्यादि उपायों का सम्बन्ध है, क्या ये काम करते है या नहीं हमारा भाग्य बदलने में और हम अपने जन्म के उद्देश्य को कैसे समझ सकते हैं। लेखक ने रामायण, महाभारत और पुराणों की कहानियों के आध्यात्मिक पहलू के माध्यम से इस अवधारणा को समझाने की कोशिश की है। यह पुस्तक सभी आयु वर्गों के लिए है, क्योंकि यह ज्योतिष की पुस्तक नहीं है। लेखक ने कहानियों के माध्यम से, अपने विचार, कर्म और भाग्य पे रखे है । आप सभी अपने जीवन को सार्थक बनाये यही लेखक का एक प्रयास है इस पुस्तक के माध्यम से। लेखक का उद्देश्य किसी को भी भाध्य करना नहीं है की वो लेखक की शोध का अनुसरण करें, और न ही लेखक का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओ को ठेस पहुचांने का है।
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