लम्हा-लम्हा दस्तक दे जाता है मन में उमड़ते एहसासों को। हर पल नया रूप लिए। एक क़लम, एक रोशनाई और अनगिनत बिखरे एहसास लिए कुछ पन्ने जो हर दिन काले किये मैंने, रौशनी के लिए …
मनजीत राजबीर, गुरुग्राम, हरियाणा से, एक सफल लेखिका हैं और एक जानी मानी कावयित्री। इनके कार्य को साहित्य जगत में बहुतप्यार और मान मिला। इनको पढ़ना एक उपहार समान है।
मनजीत राजबीर की लेखनी ज़्यादा तर शिव से वार्तालाप के रूप में मन को छू जाती है।