'कोसी के वट वृक्ष' उन बुजुर्गों की कहानी है जो 2008 में आयी कोसी के बाढ़ के बाद न केवल खुद तनकर खड़े हुए बल्कि दूसरों को भी संरक्षण भरी छाँव देते रहे हैं । यह एक उम्मीद भरी कहानी है, वह भी ढलते सूरज की उम्मीद। वह बरगद जो छाया देता है, वह जो कभी बूढ़ा नहीं होता। यह किताब बुजुर्गों के लिए आपके मन में बसे कई धारणाओं को खंडित करने का काम करेगी । घुमंतू पत्रकार और लेखक पुष्यमित्र ने बड़े मनयोग से इसे लिखा है ।