मोर मुकुट,श्याम वर्ण,कोमलांग,करधिन,पीताम्बर से
तुम जब सुशोभित भी हो जाते हो
तब हे नारायण तुम कृष्ण हो जाते हो
कोख़ देवकी से तुम जन्मे
प्रतिबंधों को तोड़
जब नंद बाबा के घर यशोदा लाल
कहलाते हो
तब हे नारायण तुम कृष्ण हो जाते हो
तुम रास रचाईया, तुम माखनचोर, तुम छलिया
तुम अजन्में ,अमर ,पालक समस्त वसुधा के
प्रेम की नेह से तुम माँ के ओखल से बंध
जब पुत्र का साधारण धर्म निभाते हो
तब हे नारायण तुम कृष्ण हो जाते हो
यमुनातीर पर चढ़ कदंब पर बँसी बजाते
राधा और गोपियन संग रास रचाते
विष यमुना का हर के जब
शीष शेष कालिया का चरणों से दबाते हो
तब हे नारायण तुम कृष्ण हो जाते हो