कविता सब लिख सकते हैं, मगर लिखने के लिए सही हालात और सही वक्त होना चाहिए। मैं खुद भी कविता, शायरी, इन सब चीज़ो को बिलकुल भी नहीं लिख पाता था। लेकिन वो कहते न, वक्त सबकुछ सीखा देती है, मैं भी सिख गया। फरवरी २०२० की बात है, सबकुछ बहुत खूब चल रहा था, भागलपुर की सर्द मौसम बड़ी सुहानी थी, मगर किस्मत में कुछ और था। कुछ परेशानी हुई और मुझे हेपेटाइटिस हो गया। उस दौरान जब मई अस्पताल में भर्ती था तबसे मेरे शब्द शायरी में बदलने लगे। ख़यालात तो सभी के अंदर होते हैं, सब मामला वक्त का है, सही वक्त में अगर सही बात ज़हन में आ गयी तो क्या कहना। मेरे भी ज़हन में, सही वक्त में, बहुत सरे ख़यालात आये हैं, और बस वही आपके सामने पेश है।