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kudarat kee peer / कुदरत की पीर समसामयिक मुद्दे

Author Name: Satywan Saurabh | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

'कुदरत की पीर', प्रतिपक्ष में अपना नया तेवर लेकर आई है । जनवादिता, जनपक्षधरता और जनपीड़ा की अभिव्यक्ति ने उसे अपनी विशिष्ट भाव-भंगिमा प्रदान की है। ऐसे महत्वपूर्ण खंड के प्रकाशन बार-बार होने चाहिए। अपनी समग्रता और साथ ही सारगर्भिता में भी सत्यवान 'सौरभ' की संकल्पना 'गागर में सागर'  प्रयास ही कही जाएगी। वर्तमान पीढ़ी के युवा लेखक सत्यवान ‘सौरभ’ वर्तमान समस्याओं पर पैनी नज़र रखते हुए प्रस्तुत खंड में उनका कारण और निवारण करते नज़र आये है। लेखों के चयन से कई बातें एक साथ स्पष्ट होती हैं। प्रथमतः तो यह कि उनके अंदर एक सजग लेखक सांस लेता है। वह पहचानता है कि आज हम किन-किन बाधाओं से लड़ रहें है। दूसरे, इन मुद्दों पर काम करना उनकी सदाशयता, संपन्न सोच और सार्थक सृजक होने की सच्ची निशानी भी देता है। 

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सत्यवान 'सौरभ'

सत्यवान 'सौरभ' का जन्म 3 मार्च 1989 को बड़वा, सिवानी, भिवानी  (हरियाणा) में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ.  बचपन से  'सौरभ' ने आर्थिक लाचारियों और  मजबूरियों को महसूस किया. उन्होंने यह सब छोटी उम्र में महसूस किया जिससे वह अपनी उम्र से ज़्यादा परिपक्व हो गये. पहले बच्चों को ट्यूशन दी और बाद में जल्दी सरकारी सेवा में आ गए. नौकरी के साथ-साथ राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की.

वर्तमान  हिंदी साहित्य में सत्यवान 'सौरभ' लेखक एवं कवि के रूप में जाने जाते है. सत्यवान 'सौरभ'  प्रतिभा के धनी रहे है; ये लेखक,कवि, फीचर लेखक, सम्पादकीय लेखक हैं. ऐसी विशिष्ट प्रतिभा के व्यक्ति बहुत कम ही होते है. इन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है. सत्यवान सौरभ ने कवि के रूप मे अपनी सबसे पहला कविता संग्रह 'यादें' 2005 में कक्षा ग्यारह में पढ़ते हुए लिखा और प्रकाशित करवाया; उन्हें इस कविता संग्रह पर काफी सराहा गया. आज इनके लिखे दोहे और सम्पादकीय देश-विदेश की हज़ारों पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहें है.

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