यह उन दिनों की बात है, जब मैंने लिखना बस शुरू ही किया था। मैं मराठी निबंधलेखन अक्सर किया करता था। तब कॉलेज में मैंने और राहूल ने एक-एक हिंदी कविता भी लिखी थी। उसे कॉलेज के पुस्तिका में छोटी सी जगह मिल जायेगी यह सोचकर हमने वो दो कविता हमारे प्राध्यापकों को सौंप दिया। बाद में वो दो कविता कॉलेज के पुस्तिका में अंकित होकर आ ही गयी। इसका हमारे जीवन पर गंभीर तरह से परिणाम हुआ। हम दोनों कविताएं करने लगे। खासकर मैं छोटी मोठी कविता करता रहता था..
आशा करता हूं .. आप सबको मेरी कवितायें पसंद आयेगी.