‘राजपूताना’ के राजघराने के डोले जिस समय मुग़ल बादशाह के हरम में जाकर अपने पिता व भाईयों को संरक्षण दिला रहे थे, उस समय राजपूताना के गौरव ‘महाराणा प्रताप’ ने मुग़लों की अधीनता अस्वीकार कर, मुग़ल साम्राज्य के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलन्द की।
परिणामस्वरूप शहंशाह अकबर ने महाराणा प्रताप को झुकाना अपने जीवन का मकसद बना लिया, परन्तु उसका उद्देश्य पूरा न हो सका। मुग़ल साम्राज्य की नींव को हिला देने वाले, उस वीर योद्धा का नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।