ये कहानी है उस वक़्त की, जब हिन्दोस्तानी सक़ाफ़त और सभ्यता नयी करवट ले रही थी। ये कहानी है दो सभ्यताओं के मिलन की, जो दो समंदर की मानिंद हो रहा था, ऊपर टकराव लेकिन भीतर ही भीतर नयी संस्कृति की शुरुवात। ये कहानी है उन बहादुर लोगों की, जिन्होंने पहले पहल हाथियों को क़ाबू किया और उन्हें पालतू बनाया। ये कहानी है उस वक़्त की बहादुर औरतों की, जिन्होंने हर क्षेत्र में मर्दों के साथ क़दम से क़दम मिला कर उनका साथ दिया, बल्कि उनसे बेहतर और बढ़कर अगुवाई की। ये कहानी है जंग में हाथियों के इस्तेमाल की शुरुवात की। ये कहानी है आम लड़कों के ख़ास बनने की। ये कहानी है हिम्मत, हौसले और सीख की, जो सिखाती है कि मक़सद अगर ऊँचा हो तो फिर बुद्धि और युक्ति से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। ये कहानी आपकी है, मेरी है, हम सब की है। उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी।