जैसे की मुझे एक्टिंग का बड़ा शोख है मै कभी कहानी की निश्चितता में विश्वास नहीं करता मै विश्वास करता हूँ खुद के कहानी में डूब जाने में और अगर कोई लेखक अपने लेख से पाठक को कहानी से जोड़ पाया तो उसे मै कहानी की संज्ञा दूंगा | यूँ तो पहले भी कई बार मैंने कहानी लिखने की कोशिश की है मगर नाकाम रहा क्योकि मुझे लिखने की बड़ी ख़राब लत है इस लिए मै अपने साथ पेन और एक सदा कागज हमेशा रखता हूँ पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए और फ़ोन तो हमेशा साथ है ही |
मेरे साथ पहले भी कई बार ऐसा हुआ है की कहानी लिखने के लिए शीर्षक दे दिए गए लकिन उसके आगे की कहनियाँ दिमाग में ही रही कभी पन्ने पर नहीं आई वे आज भी उन जड़ संबोधक शीर्षकों में रुकी हुई है |
खैर ये मेरे जीवन की पहली कहानी है आप से अनुरोध है इसे प्यार और इत्मिनान से पढ़े और आपको अच्छी बुरी जैसी भी लगे अपने विचार जरुर साझा करे |