इस कविता सँग्रह 'मैं मानव हूं' में दिल को छूने वाली कविताओं का अद्भुत सँग्रह है।ये केवल एक कविता सँग्रह नही है इसमें कवि की भावनाओं ने बहुत ही गहरी छाप छोड़ी है।
हम उम्मीद करते हैं कि ये कविता सँग्रह आपको असीम आनन्द की अनभूति कराएगा।
इसका एक एक शब्द बहुत ही गहरा भाव रखता है।
उभरते हुए कवि, गीतकार और शायर राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी' का यह तीसरा कविता सँग्रह है।
इनका पहला और दूसरा काव्य संग्रह 'इश्क गुनाह है' और 'मैं आवारा' प्रकाशित हो चुके हैं जोकि ऑनलाइन नोशन प्रेस पब्लिकेशन के स्टोर और अमेजन पर उपलब्ध है।
"नफरतों के जहां में भी हम प्यार करते हैं,
इश्क़ का 'रघुवंशी' हम कारोबार करते हैं।
छोड़ करके जहां के सभी काम धंधों को,
दुनिया में शायरी का हम व्यापार करते हैं।।"
"दुनिया भर में मेरा कारोबार चलता है।
मैं तो 'रघुवंशी' मोहब्बत का कारोबारी हूँ।।"
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