मानव शरीर स्वयं एक ब्रह्मांड
यह पुस्तक मानव जीवन के अमृत को दर्शाती है। जिसमें अवचेतन और चेतन मन की अद्भुत श्रृंखला की शक्ति का वर्णन किया गया है। यहां मानव और ब्रह्मांड की खोज का वर्णन है।
मानव जीवन पूर्ण रूप से सभी कार्य करने में सक्षम होता है। पुराने काल के युग से जहां केवल कृषि ही अधिकतम लोगों का व्यापार था तथा आज के आधनुकि युग तक मानव ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी सफलता के झंडे गाढ़े हैं। बस यह सोचना होगा कि हम क्या करना चाहते हैं। मानव जीवन संभवता के आस-पास ही घुमती रहती है।
हमें अपने जीवन में वही कार्य करने चाहिए जो हमें मूल्य देते हैं फिर जीवन अपने आप मूल्यवान बन जाता है।
यह समस्त ब्रह्मांड रहस्यपूर्ण है और यह इस रहस्यपूर्ण ब्रह्मांड में सब कुछ पूर्ण किया जा सकता है।
कर्म का ज्ञान चेतना को बढ़ाता है, कर्म ही मनुष्य का परम कर्तव्य है। कर्म की पवित्रता से संबंध रखनेवाला मनुष्य अपने जीवन के कर्मजाल को काट सकता है।
जब हम दूसरों को रोशनी प्रदान करने के लिए दीया जलाते हैं तो स्वयं भी रोशनी प्राप्त करते हैं।
अपने जीवन का लक्ष्य मनुष्य स्वयं निर्धारित करता है और उसे भेदने की शक्ति के क्षण का ज्ञान मनुष्य की मन:शक्ति में है।