मरुधर प्रेम गाथा—एक ऐसी कथा, जहाँ प्रेम की अमरता, इतिहास के रहस्य और एक श्राप की छाया सदियों तक गूँजती रही। राजस्थान की सुनहरी रेत और राजसी महलों के बीच यह कहानी जन्म लेती है, जहाँ बीते समय की परछाइयाँ आज भी साँस लेती हैं।
अविनाश भाटी जीवन के अंतिम मोड़ पर हैं और चाहते हैं कि उनका परिवार उस प्राचीन श्राप से मुक्त हो, जिसने पीढ़ियों से उनकी तकदीर को जकड़ रखा है। जब उनका बेटा वैभव इस रहस्य को सुलझाने निकलता है, तो उसे मदद मिलती है कैंडिस से—एक वकील, जो तर्क और प्रमाणों पर विश्वास करती है। लेकिन जोहान्सबर्ग से जोधपुर तक का यह सफर सिर्फ तथ्यों की खोज नहीं, आत्माओं की पुकार है।
कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, भूतकाल के दरवाजे खुलने लगते हैं—राजकुमार भंवर और बंजारा लड़की नीलम का प्रेम, जिसने परंपराओं की जंजीरों को चुनौती दी, लेकिन अंत में एक श्राप का कारण बना। वैभव और कैंडिस उन रहस्यमयी संकेतों का पीछा करते हैं, जो उन्हें जोधपुर के प्राचीन महलों, रेगिस्तान के पवित्र स्थलों और उन कहानियों तक ले जाते हैं, जो इतिहास में दबा दी गई थीं।
यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि आत्म-खोज और मोक्ष की यात्रा है। कैंडिस केवल भाटी परिवार के अतीत को उजागर नहीं करती, बल्कि प्रेम और क्षमा की शक्ति को भी महसूस करती है—यह श्राप सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि मानवता की दृढ़ता और आत्माओं के बंधन की गाथा बन जाता है।
अगर आपको प्रेम, रहस्य, और ऐतिहासिक कहानियों में खो जाने का आनंद मिलता है, तो यह उपन्यास आपको हर पृष्ठ पर मंत्रमुग्ध कर देगा। क्या आप इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं?
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