यह काव्य संग्रह अपने हृदय में साहस, करुणा, उत्साह ,प्रेम सम्मान आदि भावनाओं को समेटे, आपकी अंगुलियों के स्पर्श ,आंखो की एक दृष्टि, होठों के गुनगुनाहट के लिए आकुल व्याकुल सा आपके समक्ष प्रस्तुत है।इसमें जीवन में विविध सोपानों के उतार चढ़ाव और अनुभवों के भावों को पंक्तिबद्ध करने का प्रयास किया है।यह काव्य प्रत्येक आयुवर्ग के स्वजनों के लिए पठनीय है।
तुम बैठोगे , जब हताश होकर मन में हारे से ,
गूंजेंगे मेरे गीत , तुम्हारे कानों में धीरे से।
चलो- चलो, चलना है थोड़ा , आगे बस मंजिल है ,
राहें देख रहीं पग तेरे , बाट निरखता दिल है।
मैं तो नहीं रहूंगा , मेरे अमर रहेंगे गीत ,
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।
जब भी पलकें खोलोगे , पाओगे मेरे गीत।