'मुश्किल है अपना मेल प्रिये "
यह किताब मैं इस आश के साथ लिख रहा हूँ कि लोगो को ज्यादा से ज्यादा पसंद आये।
उसमे जो लड़का है वो बहुत ही ज्यादा गरीब परिवार से है और उसकी जो प्रेमिका है वो इसे किसी भी हालात में हासिल करना चाहती है तो लड़का उससे कहता हैं कि तुम इतनी अमीर और तुम्हारा रहन-सहन, उठना-बैठना, घूमना, खाना - पानी, महंगे शौक , फालतू खर्चे और मैं इतना गरीब कि मुझे कोई भी काम के लिए सौ बार सोचना पड़ता हैं और लड़का अपनी प्रेमिका से कहता कि - मुश्किल है अपना मेल प्रिये
प्रेमिका के बेपनाह मोहब्बत को देखते हुए लड़का जो भी बात करता है उसे कविता के रूप में प्रस्तुत हैं।
आज कल के नव जवान प्यार मोहब्बत में हाथ- धोकर पड़े है और इसी में मन में ख्याल आया कि इन सब से हट के कुछ अलग लिखने का प्रयास हो
यह मेरी पहली एकल लेखक पुस्तक है और इसमे होने वाली त्रुटियों के लिए क्षमा चाहता हूँ ।.
यह किताब उन सभी लोगो को पढ़नी चाहिए जिनकी उम्र 15 से 25 के आस पास है। ताकि उन्हें कुछ लिखने या फिर पढ़ने का आश जगे और आगे बढ़े
इस किताब का मकसद किसी युवा पीढ़ी को ठेस पहुँचाना बिलकुल नही हैं यह पुस्तक सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी गयी हैं।
अपना कीमती समय देने के लिए बहुत - बहुत आभार
आप ऐसे ही अपना प्यार बनाये रहे -
आपका अपना लेखक
- लवकुश गुप्ता