काव्य, कविता या पद्य साहित्य की वह विधा है जिसमें मनोभाव को कलात्मक रूप से भाषा के द्वारा व्यक्त किया जाता है। काव्य सदैव भावनाओं का श्रृंगार करती है और उसी से सुशोभित होती है।
कविता का उदय सृष्टि में मानवीय संवेदना के जन्म के साथ हुआ प्रतीत होता है। मानव हृदय के भाव उद्वेलन से जो शब्द निकलते हैं वही कविता बन जाते हैं। एक संवेदनशील प्राणी होने के कारण उसका मन अपने शरीर पर पड़ने वाले सुख-दुःख, प्रेम, दया, क्रोध, मोह आदि अनेकानेक भावों से सदैव प्रभावित होता रहता है। इसी अनुभूति का लिखित रूप में प्रस्तुतिकरण काव्य रूप में अवतरित होता है।
एक कवि जब सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजें व्यापक तरीके से अपने अन्तर्मन में महसूस करता है तो उसे काव्य रूप में व्यक्त करने का प्रयास करता है। क्योंकि मनुष्य के पास यही एक मात्र साधन है जो शब्दों में अवतरित हो सकता है और उसकी प्रसन्नता को परिष्कृत कर सकता है। इसी से मनुष्य भाव की रक्षा होती है और वह स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहता है।
इस पुस्तक में लगभग ५० लेखकों ने अपने इसी भाव को व्यक्त करने का उत्तम प्रयास किया। साथ ही अपने निजी, प्राकृतिक और आसपास की वस्तुओं में सोच की डुबकी लगाकर उन्हें कविता के योग्य बनाया है।