सवाल है कि आज कई पूछते हैं कि कैसे परमेश्वर की आवाज़ सुनने ? मैं यह नहीं कहता कि यह प्रश्न गलत है लेकिन असली सवाल यह होना चाहिए कि परमेश्वर हमसे कैसे बटे करते है? जिस परमेश्वर ने हमें बनाया और जिनकी हम सेवा करते हैं, वह एक बातें करने वाला परमेश्वर है। वह इतना बातें किए की ६६ किताबें लिखी गईं जिन्हें हम "बाइबल" कहते हैं। यदि परमेश्वर ने बात नहीं की होती तो बाइबल का अस्तित्व नहीं होता। परमेश्वर हमसे हर समय बात कर रहा है क्योंकि परमेश्वर हमें संकेत भेज रहे हैं। परमेश्वर की आवाज़ सुनना कोई मुश्किल बात नहीं है। लेकिन किसी को उन तरीकों को पहचानना होगा जो वह संवाद करने की कोशिश कर रहा है। वह एक आत्मा है। इसलिए वह स्पिरिट लैंग्वेज यानी आत्मिक भासा बोलते है । और प्रश्न यह है कि क्या आप आत्मा भाषा को समझना जानते हैं। परमेश्वर सदा अनइयों से बात कर रहा है लेकिन वे यह पहचानने में असफल रहते हैं कि यह उसकी आवाज़ है। इस पुस्तक में, मैंने सभी संभावित तरीकों को लिखा है कि परमेश्वर मुझसे कैसे बोलता है लेकिन मैं यह नहीं कहूंगा कि ये एकमात्र तरीके हैं जिन्हें वह संचार करता है लेकिन कई तरीके हैं जिनके माध्यम से वह अपने बच्चों को संचार करता है। इस पुस्तक में, मैंने सपनों, दर्शनों, संकेतों, प्रतीकों, रंगों, संख्याओं आदि की व्याख्या करने के तरीके को समझाने की पूरी कोशिश की क्योंकि भगवान अपने सभी बनाए गए उपकरणों का उपयोग करके हर व्यक्ति को संचार करते हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि यह पुस्तक आपको उसके विकास और उसकी आवाज को समझने में मदद करेगी।
परमेश्वर आपको असीस दे।।
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