प्रस्तुत पुस्तक भारत के राजस्थान राज्य के जिला झुंझुनू चिड़ावा शहर के कवि की स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कविताओ का एक संकलन है! पाठको तथा आम जनता को बाल काल एवं बचपन की संवेदनाओ को पिता के संदर्भ में, समझाने तथा जागरत करने का एक प्रयास मात्र है| कवि ने इस पुस्तक में यह समझाने का प्रयास किया है! जब पिता का साया सर पर रहता है, तब जिंदगी कितनी सरल लगने लगती है! जब पिता का साया सर पे नहीं रहता है! तब जिंदगी कितनी कठिन हो जाती है!