लेखन अपने आप में एक सागर है ।
जहां भावनाएं रूपी झीलें , शब्द रूपी नदियों के साथ कलकल बहती हुई निरंतर आत्मबोध का संदेश देते हुए अपने गंतव्य में समाहित होती हैं । यह किताब मेरे साहित्यिक जीवन की पहली किताब है, इस हेतु इसका नाम "प्रारंभ" रखा गया है । पुस्तक में वीर रस की प्रधानता के साथ शुद्ध हिंदी की कविताएं संकलित हैं । साथ ही प्रेम, विरह और श्रृंगार रस लिए हुए अशआर और अनेक शेर भी हैं। काव्य के सभी मूल रसों को समावेश करने का भरसक प्रयास किया गया है ।