राखी - प्रेम का धागा
पिता के बाद यदि कोई पुरुष है, जो हमारा संबल बनकर हर परिस्थिति में हमारे साथ खड़ा रह सकता है, तो वो सिर्फ भाई ही है, उसी तरह संसार में मां की जैसी ममता और दुलार, परवाह और फटकार लगाने वाली कोई और है, तो वो हमारी मां की छवि अपनी बहन ही होती है।
भाई बहन का ये अटूट रिश्ता, एक बड़ी नाजुक रेशम की डोर से परिभाषित किया जा सकता है। यूं तो हर भाई का कर्तव्य होता है बहन की रक्षा करना, एक बहन का फर्ज होता है अपने भाई की बलाओं को टालना।
लेकिन, आज के युग में हर बहन चाहती है, कि उसका भाई किसी की बहन के लिए कभी खतरा ना बने, और हर भाई ये प्रार्थना करता है, कि किसी की बुरी नजर का शिकार उसकी बहन ना होने पाए।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने का हमारा मूल उद्देश्य इस विलुप्त हो रही भाई बहन के आपसी प्रेम और सामंजस्य की भावना के साथ ही भारतीय त्योहारों के महत्त्व को समझाना है, जिसकी अनुभूति पाठकों को प्रत्येक रचना में होगी।
हम आशा करते हैं, कि पाठक हमारी रचनाओं को पसंद करें, इस पावन त्यौहार के महत्त्व को समझे, और उनके हृदय में पवित्र प्रेम का संचार हो।।
धन्यवाद