'साधना और समर्पण' कुछ हिंदी कविताओं के माध्यम से स्वाध्याय और आध्यात्म को छूने का प्रयास है। यह विषय जितना गूढ़ है उतना ही निजी भी है। दुनिया भर के शास्त्र, ग्रंथ, गुरु इस विषय पर हमें दिशा या सिद्धांत तो दे सकते हैं; पर इस का ज्ञान हम शायद सिर्फ अपने निज जीवन से, निजी व्यक्तित्व से, अपने अंर्तमन मे झांक कर, चिंतन कर ही पा सकते है। आत्मा व परमात्मा का कोई भौतिक स्वरूप न होने के कारण उसका एहसास हमें सिर्फ अनियंत्रणनीय घटनाओं से होता है। और तब हमारा स्वयं से साक्षात्कार भी एक अलग ही स्तर पर होता है। शायद यही हमारे जन्म और जीवन के उद्देश्य को जानने का व आत्मोन्नति का मार्ग भी होता है।