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saat samander chalna hoga / सात समंदर चलना होगा

Author Name: sanjive kumar | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कविता मनुष्य के भीतर जन्म लेने वाली वह लहर है, जो कभी प्रेम बनकर उठती है,
कभी देशप्रेम की पुकार बनकर गूँजती है, और कभी समाज की सच्चाई को आईना दिखाती है।
यह संग्रह उन लहरों का संगम है — भावनाओं, विचारों और संवेदनाओं का,
जहाँ दिल की धड़कनें शब्दों में ढलकर गीत बन गई हैं।

प्रेम मेरी कविताओं का पहला स्वर है —
वह प्रेम जो केवल किसी व्यक्ति से नहीं, बल्कि जीवन से, प्रकृति से, और समस्त सृष्टि से जुड़ता है।
देशभक्ति मेरी रगों में बहता वह रक्त है,
जो हर बार तिरंगे को लहराते देख फिर से जवान हो उठता है।
और समाज — वही दर्पण है, जिसमें हम सब अपनी परछाइयाँ देखते हैं,
कभी सवालों में उलझे, कभी उम्मीदों से भरे।

इस पुस्तक में हर कविता मेरे जीवन के किसी भावनात्मक क्षण से निकली है।
कभी वह किसी अधूरी याद का गीत बन गई,
कभी किसी सैनिक की आँखों का सपना,
और कभी किसी आम इंसान की बेचैनी का स्वर।

मैं मानता हूँ कि कविता केवल लिखी नहीं जाती —
वह जी जाती है, महसूस की जाती है।
यदि इन पंक्तियों में आपको अपने दिल की कोई धड़कन,
अपने देश की कोई पुकार, या अपने समाज की कोई सच्चाई दिखाई दे —
तो समझिए, यह प्रयास सफल हुआ।

— संजीव कुमार

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संजीव कुमार

लेखक परिचय

संजीव कुमार एक महाविद्यालय में रसायन विज्ञान के शिक्षक हैं। अध्यापन के साथ-साथ वे साहित्य के प्रति गहरी रुचि रखने वाले कवि एवं लेखक भी हैं। उनका पहला उपन्यास “कोडनेम : द प्रोफेसर” प्रकाशित हो चुका है, जिसे पाठकों का स्नेह प्राप्त हुआ।

यह उनकी द्वितीय पुस्तक है, जिसमें उनके कवि हृदय से निकली विविध विषयों पर आधारित कविताओं और गीतों का एक भावपूर्ण गुलदस्ता संकलित है। जीवन, प्रेम, संवेदना और सामाजिक अनुभवों से उपजी ये रचनाएँ पाठकों के मन को स्पर्श करने की क्षमता रखती हैं। यह काव्य संग्रह साहित्य प्रेमियों को अवश्य पसंद आएगा।

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