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Safar e Mohabbat / सफर ए मोहब्बत

Author Name: Himanshu Mishra | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

जिंदगी में पीछे मुड़कर  देखना कभी लबों में हंसी ला देता है कभी आंखों में अश्क। जब हम क्या खोया क्या पाया का हिसाब लगाने बैठते हैं तो पाते हैं वो जिसे हमने खो दिया या वो  जो गैर का हो चुका है उसकी चुभन  आज भी सीने में घाव कर जाती है। वो पहली मोहब्बत का ख्वाब जो खुली आंखों से देखा गया था, अश्कों के तूफान में बह चुका है और जिंदा है कुछ  धुंधली यादें।  इन यादों के कारवां को इंसान अपनी आखिरी सांस तक ढोता  है कई पुरानी यादें तो इतनी जानलेवा होती है कि जिसकी छुअन भर से बने घाव कई सदियों तक जिंदा रहते हैं  और एहसास कराते हैं कि गुजरा कल एक धोखा था इसके साथ एक सच भी हमेशा हमारे साथ चलता है कि समय घाव को भर तो नहीं पाता पर उनको सहने की आदत जेहन में उतार देता है।   मेरे अल्फाजों की कश्ती में आप उन एहसासों को सीने से निकल कर आंखों तक चलता हुआ पाएंगे। आप देखेंगे कि उस मोहब्बत की कशिश आज भी सांस ले रही है और कह रही है I 
" मेरा बेवफा होना तेरी तकदीर थी मुर्शिद।
  एक बंजारे के हिस्से में कोई शहर कब आया है"
मेरे अल्फाज आपको गुजरे वक्त के उन लम्हों में लेकर जाएंगे, जो जीवन की आपाधापी में खो गए हैं। जो  मोहब्बत भुलाई जा चुकी है, पुरानी यादें  जो आज भी छुप-छुप कर आंखों को नम कर  देती हैं। यकीन मानो इस दुनिया का सबसे बहादुर इंसान वह है जिसने अपनी मोहब्बत को जाते देखा है और उसे दिल के कोने में जिंदा रखा है यह कुछ यूं है -
"   तेरे दर से जो मैं दरबदर हुआ
    यह हाल कि मैं पूछता रहा
    मेरी याद आती है तुझे।
    या सफर ए मोहब्बत खत्म हुआ"

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हिमांशु मिश्रा

हिमांशु मिश्रा एक शायर लेखक और उत्साही पाठक है| इनका जन्म उत्तर प्रदेश के श्री सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की नगरी उन्नाव में श्री राजेंद्र प्रसाद मिश्रा के घर हुवा था एवं वही से इनकी प्रारंभिक अध्ययन पूर्ण हुआ है|वर्तमान में वह रक्षा लेखा विभाग में वरिष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर तैनात है |
इसके पूर्व इनका कार्यालयी अनुभव आयुध निर्माणी, कानपुर और भारतीय जीवन बीमा निगम
के साथ भी रह चुका है|अपनी इस पुस्तक के माध्यम से शायर नेआपके दिल के अनछुवे पहलुओं को फिर से जिन्दा करने का प्रयास किया है|

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