जिंदगी में पीछे मुड़कर देखना कभी लबों में हंसी ला देता है कभी आंखों में अश्क। जब हम क्या खोया क्या पाया का हिसाब लगाने बैठते हैं तो पाते हैं वो जिसे हमने खो दिया या वो जो गैर का हो चुका है उसकी चुभन आज भी सीने में घाव कर जाती है। वो पहली मोहब्बत का ख्वाब जो खुली आंखों से देखा गया था, अश्कों के तूफान में बह चुका है और जिंदा है कुछ धुंधली यादें। इन यादों के कारवां को इंसान अपनी आखिरी सांस तक ढोता है कई पुरानी यादें तो इतनी जानलेवा होती है कि जिसकी छुअन भर से बने घाव कई सदियों तक जिंदा रहते हैं और एहसास कराते हैं कि गुजरा कल एक धोखा था इसके साथ एक सच भी हमेशा हमारे साथ चलता है कि समय घाव को भर तो नहीं पाता पर उनको सहने की आदत जेहन में उतार देता है। मेरे अल्फाजों की कश्ती में आप उन एहसासों को सीने से निकल कर आंखों तक चलता हुआ पाएंगे। आप देखेंगे कि उस मोहब्बत की कशिश आज भी सांस ले रही है और कह रही है I
" मेरा बेवफा होना तेरी तकदीर थी मुर्शिद।
एक बंजारे के हिस्से में कोई शहर कब आया है"
मेरे अल्फाज आपको गुजरे वक्त के उन लम्हों में लेकर जाएंगे, जो जीवन की आपाधापी में खो गए हैं। जो मोहब्बत भुलाई जा चुकी है, पुरानी यादें जो आज भी छुप-छुप कर आंखों को नम कर देती हैं। यकीन मानो इस दुनिया का सबसे बहादुर इंसान वह है जिसने अपनी मोहब्बत को जाते देखा है और उसे दिल के कोने में जिंदा रखा है यह कुछ यूं है -
" तेरे दर से जो मैं दरबदर हुआ
यह हाल कि मैं पूछता रहा
मेरी याद आती है तुझे।
या सफर ए मोहब्बत खत्म हुआ"
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