संसार की जड़ तत्व - माँ
“माँ” एक ऐसा शब्द, जिसमें संपूर्ण ब्रह्मांड का कण कण समाहित है, जिनसे हमारा संबंध जन्म से भी पहले से जुड़ा होता है, वो अटूट रिश्ता जो हमारे हृदयतल से जुड़ा हुआ है, और हमारे जीवन का आधार है।
माँ जो परिवार का स्तंभ है, सृष्टि की सृजनकर्ता जो एक बूँद को स्वयं के भीतर पोषित करके जीवंत करती है और संसार के संचालन में सर्वागीण भूमिका निभाती है।
माँ की ममता और वात्सल्य से कोई भी अछूता नहीं, स्वयं श्री हरि भी माता का ममत्व सुख पाने के लिए धरा पर पुनः पुनः अवतरित हुए हैं। माँ अपनी कोख में मानव देह का निर्माण करती है और उसे अपने छाती के दूध से पोषित करती है आजीवन अपने शिशु के हित में क्रियाशील रहती है शिशु की पहली शिक्षक, जो अच्छे - बुरे का फर्क बतलाकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है। माँ जिसका कर्ज संसार में ईश्वर भी नहीं चुका पाए, उन्हीं की महानता का बखान करने का निम्न प्रयास है ये संकलन, जिसमें लेखकों ने अपने माँ के प्रति सम्मान और प्रेम को पन्नों पर उकेरा है, आशा है हमारा प्रयास सफल रहेगा।।