“सप्तशती” नाम से सर्वसाधारण का ध्यान सबसे पहले श्रीदुर्गा सप्तशती नामक देवीचरित पर ही जाता है, तत्पश्चात् एक और बहुचर्चित सप्तशती का ध्यान आता है – श्रीमद्भगवद्गीता का। चूँकि इन दोनों ग्रन्थों में सात सौ श्लोकों वा सात सौ मन्त्रों का प्रयोग हुआ है, इस कारण सप्तशती नाम की सार्थकता सिद्ध होती है।