दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कुछ बड़े सैनिक अधिकारियों ने भारत में एक गुप्त संस्था का निर्माण कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमय मृत्यु की सच्चाई को जानने का प्रयास किया था। ये वही लोग थे, जिन्होंने आजाद हिंद फौज के झंडे तले भारत की आजादी के लिए दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नेताजी का साथ दिया था। उन्होंने हमेशा अपनी पहचान गुप्त रखी। उन्हें इस बात का तनिक भी भरोसा नहीं था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत उस हवाई दुर्घटना में हुई थी, जिसके बारे में जापानी रेडियो द्वारा घोषणा की गई थी। भारत की आजादी के बाद उनके कुछ खास समर्थकों ने एक गुप्त संगठन का निर्माण कर अपने लोगों को सुभाष की खोज के लिए बाहर के देशों में भेजा। क्या वे हक़ीक़त को जान पाए? यह उपन्यास सत्य और काल्पनिक घटनाओं का समिश्रण है, जिसे सरलता से लिखा गया है।
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