“मथुरा में जन्म लियो साँवरो सलोनो बाल
गोकुल हर्षायो, आयो नंद को लाल
जसोदा पुलकित निरख नन्हों सो गोपाल
किलकत, ठुमकत, गावत, चलत डगमग चाल ।।“
“स्वर्णिम आभा“ संकलन में विभिन्न विषयों पर कवियित्री ने अपने ह्रदय के भाव प्रस्तुत किए हैं । इस संकलन में प्रकाशित, चुनी हुई 71 कविताएँ हैं |श्रीमती निधि माथुर हर विषय पर लिखती हैं, अतएव इस पुस्तक में प्रेम, मित्रता, प्रकृति, शिक्षा, पर्व, हास्य, मानव प्रकृति, समसामयिक घटनाओं एवं ह्रदय के अंतर्द्वंद को व्यक्त करती हुई कविताएँ हैं। इस संकलन में ब्रजभाषा में लिखित, कवियित्री के सर्वाधिक प्रिय ईश श्रीकृष्ण को भी कविताएँ अर्पण हैं। एक कविता “राघव” जो कि श्रीराम को अर्पित है, अवधी भाषा में है। साथ ही अन्य मानवीय संवेदनाओं जैसे कि लोभ, घृणा, तिरस्कार, उपेक्षा आदि का भी कवियित्री ने अपनी कविताओं में सुन्दर चित्रण किया है। लगभग सभी रसों में उन्होनें लिखा है। कविताएँ भावों का प्रतिबिंब होती हैं, श्रीमती निधि माथुर के काव्य में यह स्पष्ट दिखाई देता है।
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