ये कहानी है अस्मिता ठाकुर की जिसने एक ही गलती दो बार की – गलत इन्सान से प्यार | प्यार और धोखे की कहानी के अंत के साथ अस्मिता का भी अंत हो गया जिसे पुलिस आत्महत्या मानकर केस बंद कर देती है | कहानी फिर शुरू होती है और अस्मिता को धोखा देने वाले शख्स का खून हो जाता है, पुलिस को एक डायरी मिलती है और समझ आता है कि अभी एक और खून होना बाकी है लेकिन ये सब कौन कर रहा है? रुद्रा जो ऑफिस में अस्मिता के साथ काम करता था? या अस्मिता का सौतेला भाई जो उन दिनों दिल्ली में ही था | एक और नाम पुलिस के सामने आता है जिसके ब्लोग्स अस्मिता पढ़ा करती थी -‘सिरफिरा’ लेकिन क्या बस ये एक नाम था? अस्मिता की आत्महत्या का बदला कौन ले रहा था? और क्या वाकई अस्मिता ने आत्महत्या की थी या उसका भी खून किया गया था?