शंभु चौधरी की कविताएं, बचपन से ही कविता, लघुकथा, व सामाजिक लेख लिखना, देश के कई पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा, कविताओं, सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर लेखों का प्रकाशन। स्वतंत्र पत्रकारिता करना व सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन मानस को जगाना।
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शंभु चौधरी
शम्भु चौधरी का जन्म 15 अगस्त 1956 को कटिहार (बिहार) में हुआ। गत 40 वर्षों से कोलकाता में ही स्थाई निवास। आपकी एक पुस्तक "मारवाड़ी देस का ना परदेस का" प्रकाशित। आपने 57 साल की उम्र में विधि की परीक्षा पास की एवं 62 साल की उम्र में मास कम्यूनिकेशन पर मास्टर की परीक्षा।
बचपन से ही कविता, लघुकथा, व सामाजिक लेख लिखना, देश के कई पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा, कविताओं, सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर लेखों का प्रकाशन। स्वतंत्र पत्रकारिता करना व सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन मानस को जगाना। "देवराला सती काण्ड" के विरुद्ध कलकत्ता शहर में जुलूस निकालकर कानून में संशोधन कराने में सक्रिय भूमिका का निर्वाह। सामाजिक विषय पर चिन्तनशील कई पुस्तकों का सम्पादन। समाज के युवाओं को संगठित कर उनको विकासमूलक कार्यों में लगाना, राजनीति का समाजीकरण करना, व स्वतंत्र पत्रकारिता में रुचि। कोलकाता से प्रकाशित "समाज विकास" सामाजिक पत्रिका के कार्यकारी संपादक पद पर कार्य कर चुके श्री चौधरी जी के कई लेखों ने सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में बदलाव लाया है। विधि विषय पर कई पुस्तकों को प्रकाशन। मेरी कविताओं की पहली पुस्तक ₹2000/-को समर्पित।