एक भारतीय लेखक के द्वारा आधुनिक विज्ञान, योग विज्ञान और दर्शन शास्त्र को एक ही पृष्ठ पर लाने का यह प्रथम प्रयास है। इन सभी विषयों के संबंध में लेखक के ज्ञान की गहनता प्रशंसनीय है। कश्मीर के त्रिक दर्शन से प्रारंभ करते हुए, ऋषियों के द्वारा आख्यायित सत्य के ज्ञान और उनमें अग्रगण्य अगस्त्य के द्वारा प्रायोजित श्रीविद्या तंत्र को भी समाविष्ट करते हुए, तथा पिछली कुछ सदियों में बंग भूमि के ख्यातनामा सिद्ध गुरुओं के द्वारा की गई विस्तृत व्याख्याओं को भी सम्मिलित करते हुए, अंत में वे इस वस्तुस्थिति को भी संज्ञान में लाते हैं कि मानव और इस विश्व के यथार्थ के संबंध में इस एक ही ज्ञान का वितरण ईसा मसीह के द्वारा भी किया गया था। लेखक ने इस समस्त प्रकरण को इस प्रकार प्रस्तुत किया है, कि आधुनिक भौतिकी, रसायन एवं जैव शास्त्र भी एक और उच्चतर विज्ञान से स्वत: उत्पन्न होने वाले भविष्यत के समान ही प्रतीत होते हैं।
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