अगर आपके हाथ में सिर्फ़ एक रस्सी हो और सामने आपके सपनों का एक पहाड़ खड़ा हो— तो क्या आप फिर भी पहला कदम बढ़ाएंगे?
“ये आसमां तेरे कदमों में है” सिर्फ़ कविताओं की किताब नहीं, बल्कि विश्वास, संघर्ष और आत्मबल की एक सच्ची यात्रा है। यह उन लोगों के लिए है जो जानते हैं कि शुरुआत अक्सर अकेले करनी पड़ती है, लेकिन अगर आत्मविश्वास साथ हो, तो रास्ते में हजारों हाथ जुड़ते चले जाते हैं।
इस किताब की पंक्तियाँ असफलताओं, डर, टूटती उम्मीदों और फिर भी बार-बार खड़े होने की जिद से जन्मी हैं। यह बताती हैं कि कैसे उम्मीद की एक साधारण रस्सी, धीरे-धीरे ज्ञान, अनुभव और विश्वास से मिलकर एक हथौड़े में बदल जाती है— जो पहाड़ों की छाती पर भी लकीर खींच सकती है।
ये किताब आपको आसान जवाब नहीं देगी, लेकिन वह एक सवाल ज़रूर जगा देगी जो आपके अंदर दोबारा कोशिश करने की ताकत भर दे। अगर आपने कभी कोई सपना देखा है, अगर आप कभी अपने लक्ष्य के सामने खुद को छोटा महसूस कर चुके हैं, अगर आप मानते हैं कि मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से हर असंभव संभव हो सकता है— तो “ये आसमां तेरे कदमों में है” आपके ही सफ़र की आवाज़ है। क्योंकि कभी-कभी, एक ही पंक्ति काफी होती है— हाथ में हथौड़ा थमाने के लिए।
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