कहते हैं की ज़िंदगी के सफ़र में उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं। अनेक प्रकार की परेशानियाँ आते रहती हैं, कभी मानसिक तो कभी शारीरिक तौर पर।
ठीक इन्ही सब परेशानियों को और सुखों को पहचानने में नवजवान भूल करते हैं। प्यार मोहब्बत , हार-जीत के साथ न जाने कितने इम्तिहान देते हैं।
ज़िन्दगी के सफ़र में लोगों का साथ एवं विश्वास भी एक दरिये की किनारे जैसा होता है, युवावस्था में पहचानना और विश्वास करना थोड़ा कठिन होता ज़रूर है मगर जब खुद के अंदर सभी से मैत्री भाव हो तब आगे बढ़ने में भी उतनी परेशानियाँ नही दिखतीं। हारना-जीतना ,फिर स्वयं को अपने अटूट विश्वास को जगाते हुए खुद के पैर पर खड़े होना ज़िन्दगी के सफ़र को अधिक रोमांच से भरता है।
सच कहें तो, ज़िन्दगी भी एक सिक्के जैसी होती है, कभी सुख तो कभी दुःख। हंसते-मुस्कुराते अगर प्रेम भाव सभी से रखते चलें तो सत्य है की ज़िंदगी के सफर का मज़ा अधिक आएगा।