Social Short Stories

Make your stories go viral. Publish your short stories on Notion Press and get votes and feedback from real readers.

अनछुई सच

by गौरव मिश्रा   

जीवन में आपको क्या अच्छा लगता है और क्या गलत लगता है ये सिर्फ और सिर्फ आप समझ सकते हो या ये सब आप्पे ही निर्भर करता है | आपके अनुसार जो अच्छा लगता है , जो भी आपके मन के मुताबिक हो वो सही है और जो ना हो वो गलत क्या ऐसा लगना सही है ? इसका जवाब हमारे पास ही होता है , ख़ुशी और गम ये सिक्के के दो पहलु है जिन्हें हम्हे समझना चाहिए जैसे दिन और रात का आना जाना लगा होता है ठीक उसी प्रकार ख़ुशी और गम हमारे जीवन के ही हिस्से है | हमें इन्हे भी अपने जीवन में हस कर स्वागत करना चाहिए , हमें मालुम होना चाहिए के अभी ख़ुशी का मौका है तो इसे जीते हुए गम की तयारी भी जरुर करनी चाहिए !

” ख़ुशी जब हद से जयादा आने लगे तो डरना चाहिए क्यों की अब गम का साया तुरंत ही आने वाला होता है “

” जरूरते जब हद से आगे बढ़ जाये तो वो जुनून में बदल जाती है “

हम क्या सोचते है , सोचना किसी विषय पे ये निर्भर करता है आपकी उस विषय पे कितनी जानकारी है और आपके सोचने के नज़रिए पे आप किस तरह सोच रहे हो आपकी सोंच और दुसरो की सोंच बेशक अलग अलग हो सकती है ये निर्भर करता है वो कैसा सोंच रहा है क्या आप जो सोंच रहे हो ठीक वैसा ही वो भी सोंच रहा है लेकिन ऐसा बहुत कम देखा गया है की आप जैसा सोंचते हो ठीक वैसा ही कोई और भी सोंचे !

किसी का दर्द बस वही समझ सकता है जिसने उस दर्द को पहले खुद पे महसूस किया हो , आपका के साथ कोई घटना हो जिसमे आपको कुछ शारीरिक छोटे आई हो उस चोट का दर्द केवल आप ही समझ सकते हो दुसरे केवल उसपे मरहम लगा सकते है या सान्तवना दे सकते है | लेकिन उस दर्द से हो रही पीरा को केवल आप ही समझ सकते हो आपके माँ , बाप , भाई , बहन, दोस्त , यार कोई बाँट नहीं सकता है | उस दर्द को आपको खुद ही समझना और उससे लरना होगा |

आप अकेले आये हो यहाँ , यहाँ बस सत्य और झूठ भरा परा है हम बचपन से इन्हे देखते आये है बस इसे किस रूप में लेना है ये आना चाहिए , यहाँ बस एक ही सत्य है वो है माँ बाकि सब भरोसे पे टिका हुआ है बस एक ही विश्वास है वो है माँ , आप ये सिद्ध कर सकते हो के ये मेरी माँ है | लेकिन आप बाप कौन है ये आपको बचपन से बताया जाता है ये आपके पिता जी है ये आपके भाई, बहन है हम जनम से ही ऐसे भरोसे और विश्वास पे जीते हुए आये है , हमें दुःख तब होता है जब भरोसे या विश्वास पे कोई खरा नहीं उतरता | विश्वास और बरोसा सुन्ने में तो समान दीखते है पर ये सिक्के के दो पहलु है , भरोसा टूट जाये तो फिर से उमीद होती है के वापस फिर से वो बरोसा कायम हो सकता है पर विश्वास टूट जाये तो नामुमकिन है फिर से विश्वास जगाना , हमें विश्वास है ये हमारी माँ है पर और सारे सम्बन्ध बस भरोसे पे टिके हुए है |

किसी को इतना भी नहीं चाहो के खुद को चाहना बंद कर दो , आज की दुनिया एक ऐसे छलावे पे है जिसे समझना बहुत मुस्किल है कब क्या हो जाये कोई अनुमान नहीं लगा सकता है , खुद से प्यर करना सिख लिया तो समझो आप एस दुनिया में जी सकते हो यहाँ सब से सब स्वार्थी भरे परे है , कैसे जी सकता है कोई एस दुनिया में जहाँ हर कोई स्वार्थी भरे परे हुए है सब किसी को कुछ ना कुछ आपसे चाहिए तभी वो आपसे जुरे हुए रहते है |

आशा और निराशा ऐसे शब्द है जिन्हें हम अपने जीवन में इर्ध गिर्ध कही भी देख सकते है यह एक अहसास है जो सकारात्मक और एक नकारात्मक है .. दुखों और परिश्रम के अँधेरे में जो जिया करते है जिन्हें इन सब का नशा है जो दुखों के नशे में रहना जानते है उनका नशा अतुलनीय है भगवन भी उनकी मद्दत करते है ..

किसी ने खुब कहा है ..

” ये दिनिया है ज़ालिमो की , यहाँ सोंच समझ के चलना |

लोग सिने से लगाकर , दील ही निकाल लेते है “


Like this Story?


Recommend it as 'Must Read'


Reads: 2049




  



Copyright गौरव मिश्रा