JUNE 10th - JULY 10th
"मंजिल" को इंतजार है हमारे आगे बढ़ने की
मैं उस परिवेश में पैदा हुई एक लड़की हूँ जो संभवतः लड़कियों के लिए बहुत अच्छा नहीं था | जब मेरा जन्म हुआ उस समय लड़कियों – बहुओं को बाहर नहीं
भेजा जाता था , यहाँ तक की उन्हें इलाज आदि के लिए भी बाहर जाने की मनाही थी | उन दिनों में बारह साल की थी | मेरी एक सहेली हुआ करती थी |
एक दिन अचानक उनके माँ की तबियत बिगड़ गयी | उस समय मैं और मेरी सहेली दोनों बहुत छोटे थें | कोई सोच-समझ विकसित होने का सवाल ही नहीं था |
उनकी माँ को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया | उन्हें घर में रखकर इलाज करने के बजाय अस्पताल लाने का मतलब सामाजिक परिवेश और परंपरा को चुनौती देना था | जाने लोग क्यों नहीं समझते थे कि अगर एक बीमार व्यक्ति को समय से अस्पताल नहीं पहुचाया गया तो उसकी जान जा सकती है | मेरे कहने का स्पष्ट मतलब यह है कि औरतों के साथ पर्दा को लेकर आदमी इस कदर बेरहम हो सकता है कि वह औरत की जान की भी परवाह न करे | समय के साथ सोच में काफी बदलाव आया है | पहले लड़कियों को लेकर एक झिझक थी , अब वह कम हो रही है |
ऐसी स्थिति में लड़कियों को भी चाहिए कि वे इस बात पर गौर करें कि उनके माँ-बाप किन परिस्थितियों में जूझते हुए उन्हें कामयाब देखना चाहते है ?
हर माँ-बाप अपने संतान को विषम परिस्थितियों से दूर रखना चाहते हैं | वे नहीं चाहते कि उनकी संतति पर कोई संकट आये | ऐसे माँ-बाप के मनोभाव को समझना और उस अनुरूप आचरण करना आपका-हमारा कर्तव्य है | मैं तो कहूँगी
रास्तें चाहें जितना भी कठिन क्यों न हो , अगर हमारे इरादें पक्के हैं तो मंजिल जरुर मिलेगी | हार-जीत, उतार-चढ़ाव जिंदगी में समय के साथ आते-जाते रहेंगे | हमें कभी भी अपना मन छोटा नहीं करना चाहिए | संघर्ष जारी रखने से ही मंजिल मिलेगी | लड़की होने से समाज में हमारा स्थान कम नहीं होता | अपना आत्मबल कायम रखना होगा और मंजिल की तरफ सतत बढ़ना होगा |
प्रकाशपुंज बनने के लिए एक-एक किरण की आवश्यकता होती है | आशा की किरण को
हर समय जलाये रखना होगा | उसे कभी बुझने नहीं देना चाहिए | अपने मन में
अरमानों को जगाने की कोशिश करनी चाहिए | उन अरमानों के लिए जी-जान लगा
देनी चाहिए | मैं एक शिक्षिका हूँ , क्योंकि यही वह पेशा है , जो एक सभ्य
समाज का सृजन कर सकता है | इस पेशे के अधिकांश लोग बुद्धि-विवेक से काम लेते हैं | वे आवेश में नहीं आते | इसी कारण उनका निर्णय सही होता है | मैं समाज को सजग रखना चाहती हूँ | एक बात और , हम सोये हुए व्यक्ति को जगा सकते हैं , लकिन जो सोये होने का नाटक कर रहा हो , उस पर हमारा कोई वश नहीं | मैंने यह घटना का जिक्र यहाँ इसलिए किया क्योंकि मैं प्रण ले चुकी हूँ कि अपनी पीढ़ी के साथ ऐसी स्थितियां उत्पन्न होने पर भरसक विरोध
करुँगी |
नारी एक शक्ति है, जिसमें पूरे संसार को अपने अंदर
समा लेने की क्षमता होती है | नारी कहीं दुर्गा हैं तो कहीं सरस्वती | नारी के अनेकों रूप हैं कभी बेटी कभी बहन कभी माँ, कभी पत्नी, तो कभी मित्र |
नारी के किसी भी रूप में उसकी सुंदरता, सादगी, व्यवहार, और उसके प्रेम में कभी भी कोई कमी नही आती |
बल्कि हर नये रूप में उसका प्रेम, स्नेह और लगाव बढ़ता ही जाता है | नारी शक्ति से ही मानव जीवन का विकास हुआ है | सामान्य मनुष्य ही नहीं बल्कि देवताओं ने भी नारी को शक्ति माना हैं और उसकी पूजा आराधना की हैं | जब धरती पर राक्षसों का पाप बढ़ गया था तो माँ दुर्गा ने उन सबका विनाश करके माँ धरती को पाप मुक्त किया था | हमारे समाज में आज भी कई ऐसे लोग है जो इन सारी बातों को जानते हुए भी नारी का सम्मान नही करते हैं और नारी को एक इस्तेमाल की वस्तु समझते हैं |
जिनके पास अपार शक्तियाँ हैं उन्हें केवल चार दिवारी के अंदर रहने को मजबूर किया जाता है उन्हें यह अहसास दिलाने की कोशिश की जाती है कि उनका कोई अस्तित्व नहीं हैं उनकी समाज में कोई पहचान नहीं है | उन्हें शिक्षा से कोसों दूर रखा जाता है ताकि वो शिक्षित होकर अपने हक के लिए आवाज़ उठाने की कोशिश ना करें और अपने सम्मान की बातें ना करें |
उनके कई सपने उनकी आँखों में ही मर जाते है तो कई सपनों के उड़ान भरने से पहले ही उनके पंख कुतर दिये जाते हैं | आज के आधुनिक समय में भी उन्हें इस तरह से प्रताड़ित किया जाता है कि उनकी हिम्मत टूट कर कुछ ऐसे बिखर जाती है कि उन्हे समेटने में उनकी आधी जिंदगी निकल जाती हैं और बाकी के सपने पूरे करने में उनकी ढलती उम्र उनका साथ नहीं देती |
उनके मन में तो भावनाओं का तुफान होता है लेकिन सम्मान मिलने तक नहीं पहुँच पाता |
वीरांगनाओं के किस्से उनके लिए महज़ एक काल्पनिक मनोरंजक कहानी बन कर रह जाती है जिसे हकीकत में सच करने का वो ख्वाब में भी नहीं सोच सकती | उनकी ऐसी सोच की केवल एक मात्र वजह है और वो है नारी को उनके सम्मान, अधिकार, शिक्षा, और अपनत्व की भावनाओं से दूर रखना |
नारी के पास असीमित शक्ति ,प्रतिभा और जिज्ञासा हैं
बस हमें जरूरत हैं उन्हें ये आभास दिलाने की, कि वो सब कुछ कर सकती हैं जिसकी वो कल्पनाएँ करती हैं और अपने सपनों को एक ऊँची उड़ान दे सकती हैं |
जो पुरुष – मानसिकता जनित विपत्ति बीते दौर की औरतें सहा करती थीं , वे
आज की लड़कियां बर्दाश्त नहीं करेंगी |
प्रियंका सोना
पीरपैंती, भागलपुर
#190
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adarshkumar25108
Super
KUMARI PRIYANKA
woman is a power it's true It is also a power to tell this truth through autobiography. There are very few girls who are able to narrate their ordeal and can tell all the past things to someone. You have taken a very good initiative Priyanka Sona ji thank you wholeheartedly. .
Shalini jain
आज की आधुनिक भाग- दौड़ की जिंदगी में जैसे कही खो गया है अस्तित्व महिलाओं का शहरों मे तो कहीं हद तक ठीक है लेकिन ग्रामीण इलाकों मे तो बस उनकी जिंदगी उनकी दुनिया चार दिवारी के अंदर ही सिमट कर रह गई है.... यह कहानी उन महिलओ तक पहुँचने पर उनमे एक नई ऊर्जा का संचार होगा या यूं कहे तो पुनर्जन्म होगा और वो अपने जीवन को अपने ढंग से जी पाएंगी.. बहुत अच्छी प्रेरणादायक आत्मकथा....
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