अंतिम विश्व युद्ध

यंग एडल्ट फिक्शन
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यह कहानी सन् 2050 से शुरू होती है जिस समय तीसरा विश्व युद्ध हुआ था। जिस युद्ध में पूरी दुनिया तबाह हो गई थी। सारे देशों ने गुस्से में आकर अपने परमाणु बम एक दूसरे के ऊपर छोड़ दिए थे। पृथ्वी पूरी तरह से विनाश हो गई थी। करोड़ों आदमी मर चुके थे। पृथ्वी का वायुमंडल ख़राब हो चुका था और पृथ्वी पर हरियाली का तो नामोनिशान ही मिट गया था।

वर्ष 2049 में जिन देशों के पास वीटो पावर थी, उनकी आपस में लड़ाई हो गई और उनके आपसी झगड़े की वजह से तीसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ। उन पांच देशों ने एक दूसरे पर परमाणु बम गिराने शुरू कर दिए थे और कुछ ही हफ्तों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस ये वीटो पावर रखने वाले सारे देश परमाणु बम के हमलों में तबाह हो गए थे। तीसरे विश्व युद्ध होने की कोई बड़ी वजह भी नहीं थी। हर देश अपनी महानता दिखाना चाहता था और यही विवाद के होने की पहली वजह थी। अपनी महानता दिखाने के चक्कर में उन्होंने तीसरे विश्व युद्ध में अपने परमाणु बम से हमले करने शुरू कर दिए और उसका जो परिणाम निकला उस में करोड़ों बेकसूर मर गए। परमाणु बम के हमलों से सिर्फ वीटो पावर रखने वाले देशों को ही नुकसान नहीं हुआ था। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के आस पास जो भी देश मोजुद थे उनको भी परमाणु बम के हमलों का गहरा असर झेलना पड़ा था। उन देशों ने भी आक्रोश में आकर अपने परमाणु बम अपने दुश्मनों पर गिरा दिए थे और फिर सारे देश तीसरे विश्व युद्ध में शामिल हो गए थे। तीसरे विश्व युद्ध की वजह से एक साल बाद ही 2050 में ऐसा मोड़ आया कि पूरी दुनिया खत्म हो गई। युद्ध के अंत में किसी को भी कुछ भी हासिल नहीं हुआ। किसी भी देश को विजय हासिल नहीं हुई। बदले की भावना ने सब कुछ बर्बाद कर दिया था। तीसरे विश्व युद्ध में पूरी दुनिया में दो सौ से ज्यादा परमाणु बम गिराए गए थे और केवल एक प्रतिशत लोग ही बचे थे। कुछ लोग अपनी खुशकिस्मती से बच गए थे और कुछ बहुत ही गहरी सुरंग में घुसने की वजह से बच गए थे। कुछ लोग जानते थे कि तीसरे विश्व युद्ध में कुछ बुरा होने वाला है इसलिए उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए बहुत गहरे गड्ढे खोद रखे थे जिनमें घुसकर और उनको अंदर से ढककर वे बच गए थे।

राजस्थान के जोधपुर शहर में एक परिवार था जो परमाणु बम के हमले से बच गया था। उस परिवार में 10 लोग थे जो बच गए थे। उस परिवार में राजीव कुमार और सरिता कुमारी नाम के पति पत्नी थे। उनका एक बेटा था जिसका नाम रजत था और उनकी तीन बेटी भी थी। रजत के दो बेटे और एक बेटी थी। रजत की पत्नी का नाम संगीता कुमारी था। सन् 2049 में राजीव यह समझ गया था कि जल्द ही भारत भी युद्ध का हिस्सा बन जाएगा‌। राजीव समझ गया था कि जल्द ही भारत देश पर भी परमाणु बम के हमले होंगे इसलिए अपने परिवार को परमाणु बम से बचाने के लिए उसने पहले से ही तैयारी कर रखी थी। एक साल पहले उसने अपने घर के पास ही जमीन के भीतर 40 फीट गहरी एक सुरंग बनाई थी। सुरंग के अंदर आने के लिए एक लंबी सीढ़ी थी। सुरंग के अंदर आने के बाद ऊपर का दरवाजा बंद किया जा सकता था। सुरंग के अंदर एक बहुत बड़ा कमरा था, जिसमें अनेक लोग रह सकते थे। 25 अप्रैल 2050 को भारत भी तीसरे विश्व युद्ध का हिस्सा बन गया था। राजीव यह समझ गया था कि अब भारत भी अपने बचाव के लिए परमाणु बम के हमले करेगा और अब भारत पर भी परमाणु बम के हमले होंगे। 26 अप्रैल को वे सब सीढ़ी से उस सुरंग के अंदर आ गए और उन्होंने बाहर जाने का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। वे सब उस कमरे में आ गए और वहाँ बैठ गए। वे सब दस लोग थे इसलिए राजीव ने कमरे में बहुत सारे आहार का बंदोबस्त कर रखा था। उस कमरे में इतना खाना था कि वे सब दो महीने तक भरपेट खाना खा सकते थे। एक महीने तक वे सभी सुरंग के अंदर रहे। फिर एक दिन उनको कुछ क्षण के लिए धरती हिलती हुई महसूस हुई। राजीव समझ गया था कि राजस्थान पर परमाणु बम गिरा है। धरती को हिलता देख वे सभी डरने लगे थे लेकिन वे सभी भाग्यशाली थे कि वे सभी परमाणु बम के हमले से बच गए। वे सभी कई महीने तक उस सुरंग के अंदर रहे। फिर कई महीने बीत जाने के बाद उनको लगा कि अब बाहर आ जाना चाहिए। जब राजीव सीढ़ी से ऊपर गया तो उसको पता चला कि दरवाजा खुल नहीं रहा था। वह किसी चीज से दबा हुआ था। बहुत जोर लगाने पर भी वह दरवाजा नहीं खुला। फिर वे दूसरे रास्ते से बाहर निकले। बाहर का नजारा देखकर उनको बहुत बुरा लगा। उन्होंने देखा कि सब कुछ तहस-नहस हो चुका था। सारे लोग मर चुके थे। इमारतें टूट कर नीचे बिखर चुकी थी। लोगों की लाशें ही लाशें जमीन पर पड़ी थी। ऐसा नजारा देखकर उनकी आँखों में आँसू आ गए।

अंत

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