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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
पुस्तक-विवरण
किस्मत आपके हाथ में नहीं होती; पर निर्णय आपके हाथ में होता है। किस्मत आपका निर्णय नहीं बदल सकती; पर निर्णय आपकी किस्मत को बदल सकता है। ठीक इसी तरह भाग्य लिखना आपक
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किस्मत आपके हाथ में नहीं होती; पर निर्णय आपके हाथ में होता है। किस्मत आपका निर्णय नहीं बदल सकती; पर निर्णय आपकी किस्मत को बदल सकता है। ठीक इसी तरह भाग्य लिखना आपके हाथ में नहीं होता, लेकिन आप अपनी बुरी आदतों को बदलकर अपना भाग्य आप लिख सकते हैं।
यह सिद्धांत हर उस व्यक्ति के लिए काम करता है, जो सफलता का आकांक्षी है। क्योंकि सफल लोगों ने इसी मार्ग का अनुसरण करके बड़ी कामयाबी हासिल किया है।-इसी पुस्तक से
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पत्र पहले संचार का माध्यम हुआ करता था। इसीलिए पत्रशैली में, ‘एक पत्रः भगोड़ों के नाम’ ‘लघु व्यंग्य उपन्यास’ सृजित किया गया है, जो उन हस्तियों पर कटाक्ष है,
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पत्र पहले संचार का माध्यम हुआ करता था। इसीलिए पत्रशैली में, ‘एक पत्रः भगोड़ों के नाम’ ‘लघु व्यंग्य उपन्यास’ सृजित किया गया है, जो उन हस्तियों पर कटाक्ष है, जो लोकधन को लूटकर अपनी तिजोरियां भरते हैं। फिर जब लौटाने की बारी आती है, तब सत्तातंत्र को अंगूठा दिखाकर विदेशगमन कर जाते हैं।
इसके विपरीत, बैंकर्स आम नागरिकों पर इस कदर टूट पड़ती हैं कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। प्रस्तुत ‘लघु व्यंग्य-उपन्यास’ इन्हीं विसंगतियों से पत्रशैली में रूबरू करवाता है।
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प्रवेश अपसेट सा बोला,‘‘लगता है मेरी डायरी कहीं गिर गई है। मैं जाता हूं। देखता हूं।’’ कहकर वह निकलने ही वाला था कि विकास उठता हुआ बोला, ‘‘पहले अपना बिगड़ा हु
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प्रवेश अपसेट सा बोला,‘‘लगता है मेरी डायरी कहीं गिर गई है। मैं जाता हूं। देखता हूं।’’ कहकर वह निकलने ही वाला था कि विकास उठता हुआ बोला, ‘‘पहले अपना बिगड़ा हुआ हुलिया ठीक कर। कपड़े बदल। हाथ-मुंह घो।’’
‘‘हुलिया चेंज करने और कपड़े बदलने का वक्त कहां है मेरे पास। इससे तो और देर हो जाएगी। कहीं गिरा होगा, तो कोई उठाकर चलता बनेगा। डायरी मेरे लिए बेशकीमती है।’’ प्रवेश पलटकर रूम के दरवाजे तक पहुंचते हुए बेरूखी से जवाब दिया।-इसी किताब से
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‘फ्लैशबैक’ शैली में लिखी गई ‘गुमशुदा बच्चे’ दो ऐसे बालकों की कथा है, जो अपने-अपने पिता की लाचारी की वजह से बालीउम्र में ही काम-कमाई करने के लिए घर से निकल पड़
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‘फ्लैशबैक’ शैली में लिखी गई ‘गुमशुदा बच्चे’ दो ऐसे बालकों की कथा है, जो अपने-अपने पिता की लाचारी की वजह से बालीउम्र में ही काम-कमाई करने के लिए घर से निकल पड़ते हैं, तभी उनका अपहरण हो जाता है। ये बच्चे अपह्र्ताओं से जिस तरह मुक्त होते हैं, वही उपन्यास का रोमांच है?
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यूपीएससी सहित सभी राज्यों की पीएससी व कालेज की परीक्षाओं में निबंध प्रायः 750 शब्दों से लेकर 1200 शब्दों के आसपास लिखने के लिए दिया जाता है।
जो परीक्षार्थी निबं
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यूपीएससी सहित सभी राज्यों की पीएससी व कालेज की परीक्षाओं में निबंध प्रायः 750 शब्दों से लेकर 1200 शब्दों के आसपास लिखने के लिए दिया जाता है।
जो परीक्षार्थी निबंध-लेखन को गंभीरता से लेता है और अपने लेखन-कौशल में निरंतर इजाफा करता रहता है, वह निबंध को भली-भांति लिखकर और अधिकतम अंक प्राप्त कर कामयाबी का वरण करता है।
प्रस्तुत किताब के माध्यम से न केवल परीक्षार्थी व विद्यार्थी, अपितु लेखक, हिंदीपे्रमी व पत्रकार भी ‘निबंध-लेखन कौशल’ आसान भाषा में सीख सकते हैं।
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‘शुद्ध हिंदी-लेखन;’ हिंदीभाषी लेखकों, कवियों, पत्रकारों, विद्यार्थियों, हिंदीप्रेमियों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए एक ऐसी चुनौती है, जिसका सामना उन
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‘शुद्ध हिंदी-लेखन;’ हिंदीभाषी लेखकों, कवियों, पत्रकारों, विद्यार्थियों, हिंदीप्रेमियों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए एक ऐसी चुनौती है, जिसका सामना उन्हें पग-पग पर करना पड़ता है।
हिंदी-भाषियों के लिए हिंदी चूंकि उनकी निजभाषा है; इसलिए उसको सीखना उतना जरूरी नहीं समझा जाता, जितना दीगर भाषा को सीखने के लिए जहमत उठाया जाता है। फलतः, हिंदी-भाषियों की लेखनी में भाषा-संबंधी त्रुटियां दिखाई देती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक हिंदीप्रेमियों सहित शब्दकर्मियों की लेखनी को शुद्ध करने में उपयोगी हो सकती है। बशर्ते, किताब को आत्मसात कर अपने लेखन में उतारने का काम सिद्दत से किया जाए।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस सच्चे देशभक्त और वीर पुरुष थे। वे जीते जी भारत को आजाद देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाली और अंग्रेजी हुकूमत से
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस सच्चे देशभक्त और वीर पुरुष थे। वे जीते जी भारत को आजाद देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाली और अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया। उनके दुर्भाग्य से द्वितीय विश्वयुद्ध में धुरीराष्ट्रों की हार हो गई। वे स्वयं भी कथिततौर पर एक वायुयान हादसे में 1945 में वीरगति को प्राप्त हो गए।
उनकी शहादत के 75 साल बीत गए। इस बीच कई सरकारें आई और गईं। अनेक आयोग गठित हुए। लेकिन, मौत का रहस्य, रहस्य ही रह गया। इन्हीं परिस्थितियों पर लिखी गई नेताजी पर जीवनी पठनीय और संग्रहणीय है।
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कुख्यात बदमाश विनोद पांडे के ‘बुलैट गैंग’ का खात्मा करने के लिए पुलिस उसकी कोठी में रेड करती है। मुठभेड़ में कतिपय पुलिसमैनों के द्वारा दगाबाजी करने से विनो
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कुख्यात बदमाश विनोद पांडे के ‘बुलैट गैंग’ का खात्मा करने के लिए पुलिस उसकी कोठी में रेड करती है। मुठभेड़ में कतिपय पुलिसमैनों के द्वारा दगाबाजी करने से विनोद पांडे, एक डीएसपी, एक सबइंस्पेक्टर सहित 8 आरक्षकों को मौके पर ही मार डालता है।
वीरगति को प्राप्त डीएसपी की एक बेटी और सबइंस्पेक्टर का एक बेटा है, जो पीएससी से चयनित होकर नए-नवेले डीएसपी बने हैं।
प्रशिक्षु पुलिस अधिकारीद्वव, जिस तरह की चतुराई व दिलेरी से ‘बुलेट गैंग’ का सफाया करते है और अपने पिता के कातिलों से प्रतिशोध लेते है, वही प्रस्तुत उपन्यास का रोमांच है।
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पुस्तक-परिचय
उपन्यास ‘लाॅकडाउन’ ऐसे धरतीपुत्रों की कथा है, जो खेती के सूखाग्रस्त हो जाने पर कमाने-खाने के लिए शहर की ओर पलायन करते हैं। तभी कोरोना महामारी के रोकथाम के वा
पुस्तक-परिचय
उपन्यास ‘लाॅकडाउन’ ऐसे धरतीपुत्रों की कथा है, जो खेती के सूखाग्रस्त हो जाने पर कमाने-खाने के लिए शहर की ओर पलायन करते हैं। तभी कोरोना महामारी के रोकथाम के वास्ते देश में लाकडाउन का ऐलान हो जाता है।
तालाबंदी से छूट मिलने पर वे अपने घर की ओर सायकिल से निकल पड़ते हैं। रास्ते में कोरोना का कहर झेलनेवाली एक 13 वर्षीय लड़की भी मिलती है, जो अपने 70 वर्षीय पिता को सायकिल में बिठाकर अपने घर की ओर चल पड़ी है। ‘लाॅकडाउन’ इन्हीं माटीपुत्रों के संधर्ष की दास्तान है।
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पुस्तक-विवरण
उपन्यास, डिग्री कालेज, छग के बस्तर संभाग के नारायणपुर क्षेत्र के उन दो युवाओं की कहानी है, जो ग्रामीण स्कूलों से निकले हैं और कालेज में उलझे हैं।
तब नारायणपु
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उपन्यास, डिग्री कालेज, छग के बस्तर संभाग के नारायणपुर क्षेत्र के उन दो युवाओं की कहानी है, जो ग्रामीण स्कूलों से निकले हैं और कालेज में उलझे हैं।
तब नारायणपुर, एक ग्राम पंचायत और तहसील था। आसपास के गांवों का घोटुल जहां जगत्प्रसिद्ध था, वहीं उसका मेला और अबूझमाड़ के बीहड़ों का बसेरा सबको आकर्षित करता था। अब, सही-सलामत घोटुल रहा; न मेला, न गीतों का रेला। अब है, तो खौफ की साया; बंदूक की माया और रेड कारिडोर की अदृश्य छाया।
कालेज में अध्ययन-अध्यापन कम; रगड़ाई खूब होता था। खेलकूद, सांस्कृतिक सम्मेलन और एनएससी के छात्र-छात्राओं का भ्रमण भी हुआ करता था। तभी अबूझमाड़ के कुरूसनार में लाल सलाम ने गोलीचालन से सबको सलामी देकर अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया था।
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स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘हर अच्छी बात का पहले मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और अंत में उसे स्वीकार लिया जाता है।’’
नेटवर्क मार्केटिंग की भी यही स
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स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘हर अच्छी बात का पहले मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और अंत में उसे स्वीकार लिया जाता है।’’
नेटवर्क मार्केटिंग की भी यही स्थिति है। लोग उत्पाद, मीटिंग, सेमीनार-वेबीनार सीडी-कैसेट, अपलाइन-डाउनलाइन को या तो समझते नहीं या समझना नहीं चाहते, जो नेटवर्क मार्केटिंग के अनिवार्य उपकरण हैं। उन्हें देखना चाहिए कि कोई नेटवर्किग कंपनी, व्यावसायिक कानूनों व शासन द्वारा निर्मित डायरेक्ट सेलिंग के नियमों का पालन कर रही है या नहीं; जीएसटी व आयकर अदा कर रही है या नहीं; पक्का बिल दे रही है या नहीं।
नेटवर्किंग जहां कमाई का पवित्र साधन है, वहीं उत्तम चरित्र का निर्माता भी है। यह जीवन को परिपूर्ण बनाता है। वस्तुतः, यह 21वीं सदी का पाक-साफ व्यवसाय सहित बेहतर भविष्य का निर्माणकर्ता भी है।
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पुस्तक-विवरण
यूपीएससी सहित सभी राज्यों की पीएससी व कालेज की परीक्षाओं में राष्ट्रीय निबंध प्रायः 750 शब्दों से लेकर 1200 शब्दों के आसपास तक लिखने के लिए दिया जाता है।
प्रस्तुत नि
पुस्तक-विवरण
यूपीएससी सहित सभी राज्यों की पीएससी व कालेज की परीक्षाओं में राष्ट्रीय निबंध प्रायः 750 शब्दों से लेकर 1200 शब्दों के आसपास तक लिखने के लिए दिया जाता है।
प्रस्तुत निबंध-संग्रह में जहां 30 राष्ट्रीय सम-सामयिक घटनाओं को लेकर निबंध लिखा गया है, वहीं 1000 से 1500 शब्दों के आसपास प्रत्येक निबंध को समाहित करने का प्रयास भी किया गया है; ताकि परीक्षार्थी, जो पढ़ें, उसमें से उपयोगी तथ्य जुटाकर अपनी परीक्षा की तैयारी में कोई कोर कसर उठा न रखंे।
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पुस्तक-परिचय
‘स्वामी विवेकानंद’ राष्ट्रीयता, राष्ट्रधर्म व मानवता के वाहक सहित सर्वधर्म समभाव व आधुनिकता के प्रेरणापुंज थे। उन्हें भारतीय परंपरा और आधुनिकता के मध्य ऐ
पुस्तक-परिचय
‘स्वामी विवेकानंद’ राष्ट्रीयता, राष्ट्रधर्म व मानवता के वाहक सहित सर्वधर्म समभाव व आधुनिकता के प्रेरणापुंज थे। उन्हें भारतीय परंपरा और आधुनिकता के मध्य ऐसी कड़ी माना जाता है, जिनका योग व वेदांत-दर्शन मार्गदर्शक बनकर वैश्विकपटल पर छा गया था। वे चाहते थे कि युवजन आलस्यता, कूपमंडूपता और कायरता त्यागकर राष्ट्र के उत्थान के लिए अपना अमूल्य योगदान दें।
उन्होंने अमेरिका के शिकागो में जो उद्बोधन दिया है, वह अविस्मरणीय है। उनके योगदान को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए देश हर साल 12 जनवरी को ‘युवा दिवस’ मनाता है।
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व्यंग्य-संग्रह का विवरण
प्रस्तुत व्यंग्य-कथाओं में 10 व्यंग्य-रचनाओं का संकलन किया गया है। ये रचनाएं व्यंग्य-विद्या के उत्तरोतर विकास के निमित्त एक लघु प्रयास है। इसमें जो प्र
व्यंग्य-संग्रह का विवरण
प्रस्तुत व्यंग्य-कथाओं में 10 व्यंग्य-रचनाओं का संकलन किया गया है। ये रचनाएं व्यंग्य-विद्या के उत्तरोतर विकास के निमित्त एक लघु प्रयास है। इसमें जो प्रतीक गड़े गए हैं, वे सर्वमान्य हैं। इन प्रतिमानों के माध्यम से हास्य-व्यंग्य सृजित करने का यत्न किया गया है।
जैसे लघुकथा, कहानी, कविता, उपन्यास भावाभिव्यक्ति की विद्याएं हैं, वैसे ही कटाक्ष-लेखन दोमंुहेपन की अभिव्यक्ति का माध्यम है।
कथा-साहित्य में स्मृतिशैली (फ्लैश बैक) प्रभावी लेखनविधि मानी जाती है। संग्रह में यदा-कदा स्मृतिशैली का प्रयोग करके रचनाओं में जान फंूकने की कोशिश की गई है।
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‘लालबहादुर शास्त्री की जीवनी’ का सार
लालबहादुर शास्त्री सादा जीवन, उच्च विचार के हिमायती थे। विवेकानंद व महात्मा गांधी के विचारों का गहरा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा था। वे कथ
‘लालबहादुर शास्त्री की जीवनी’ का सार
लालबहादुर शास्त्री सादा जीवन, उच्च विचार के हिमायती थे। विवेकानंद व महात्मा गांधी के विचारों का गहरा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा था। वे कथनी और करनी में अंतर नहीं करते थे।
वे कांग्रेस के एक साधारण कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक अपनी कार्यक्षमता से पहुंचे थे।
पंडित नेहरू के निधन के बाद उन्होंने देश की बागडोर तब संभाली, जब देश खाद्य-संकट से गुजर रहा था। तभी 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। उन्होंने इन दोनों संकटों से मुक्ति के लिए ‘जय जवान, जय किसान’ का जयघोष किया। फलस्वरूप देश को खाद्य-संकट से निजात मिलने लगा, वहीं भारत, पाकिस्तान से युद्ध जीत गया।
11 जनवरी 1966 की रात उनका रहस्यमय ढंग से देहावसान तब हो गया, जब वे ताशकंद समझौता करने सोवियत संघ गए हुए थे। यह रहस्य, रहस्य ही रह गया!
इन्हीं स्थितियों का विश्लेषण करता हुआ ‘छोटे कद के बड़े इंसान’ की ‘जीवनी’ पठनीय व संग्रहणीय है।
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लेखक
‘कोविड-19’ का सार
भारत सहित दुनियाभर के लिए कोविड-19 एक ऐसी दहशतनाक महामारी बनकर उभरी है, जो मनुष्य-से-मनुष्य में फैल रही है। यह किसी वय के व्यक्ति को, कहीं पर भी और किसी समय भी लप
‘कोविड-19’ का सार
भारत सहित दुनियाभर के लिए कोविड-19 एक ऐसी दहशतनाक महामारी बनकर उभरी है, जो मनुष्य-से-मनुष्य में फैल रही है। यह किसी वय के व्यक्ति को, कहीं पर भी और किसी समय भी लपेटे में ले सकता है। इसीलिए राजा और रंक; बाल और वृद्ध; सभी इससे डरे-सहमे हुए हैं।
हैरत तो यह कि दुनिया को परमाणु बमों का खौफ दिखानेवाले महाबली मुल्कों के पास भी इसका माकूल इलाज नहीं है। इसके वैक्सीन का निर्माण आरंभिक चरण में ही है।
वैक्सीन के अभाव में इंसान के लिए जो करने की चीज है, वह है परहेज-मास्क पहनना, लगातार सेनिटाइज करना, दो गज की दूरी में रहना, हाथ नहीं मिलाना, गले नहीं लगना, बार-बार साबुन से हाथ धोना और कपड़े-लत्ते व घर-द्वार की लगातार सफाई करते रहना।
बचाव में सेल्फ आइसोलेशन व क्वारेंटाइन भी महती भूमिका का निर्वहन कर सकता है। अर्थात अपनी जान व जहान बचाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आन पड़ी है इंसानों पर।
प्रस्तुत निबंध ‘कोविड-19’ कोरोनावायरस के फैलाव के प्रारंभिक दिनों से अगस्त 2020 तक की स्थिति का आकलन करता हुआ समकालीन दस्तावेज है, जो सर्वथा पठनीय व संग्रहणीय है।
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10 लघुकथाएंः संकलन-1
लघुकथाओं के बारे में
प्रस्तुत लघुकथा-संग्रह में 10 लघुकथाएं हैं। इनके शीर्षक हैं-मौकापरस्त, अनुशासन, घर का सपना, संघर्ष, बुरे काम का बुरा नतीजा, मदर्स
10 लघुकथाएंः संकलन-1
लघुकथाओं के बारे में
प्रस्तुत लघुकथा-संग्रह में 10 लघुकथाएं हैं। इनके शीर्षक हैं-मौकापरस्त, अनुशासन, घर का सपना, संघर्ष, बुरे काम का बुरा नतीजा, मदर्स डे, लड़ाई, लालच, मंगेतर और गुनाह।
सभी लघुकथाएं आम जनजीवन से ली गई हैं, जो कहीं कचोटती हैं, कहीं संघर्ष की बानगी पेश करती हैं, कहीं हंसाती हैं और कहीं रुलाती भी हैं। मानवीय भावनाओं को स्पर्श करती ये लघुकथाएं पठनीय और संग्रहणीय हैं।
लेखक
प्रस्तुत किताब ''चीन का विस्तारवाद'' चीन के उस खतरनाक खेल को रेखांकित करता है, जिसकी नीति न केवल पडोसी देशों की जमीन को हड़पना रहा है, बल्कि आर्थिक व सैन्य शक्ति से कमजोर मुल्को
प्रस्तुत किताब ''चीन का विस्तारवाद'' चीन के उस खतरनाक खेल को रेखांकित करता है, जिसकी नीति न केवल पडोसी देशों की जमीन को हड़पना रहा है, बल्कि आर्थिक व सैन्य शक्ति से कमजोर मुल्कों पर आधिपत्य कायम करना रहा है।
वह भारत के साथ भी ऐसा शातिर खेल खेल चुका है और 1962 में भारतीय हुक्मरानों की कमजोरी और गलती की वजह से अक्साई चिन को हड़प चुका है।
इन्हीं तथ्यों की पड़ताल इस किताब में की गई है, जो पठनीय और संग्रहणीय है।
Academic Debate is an article by Veerendra kumar Dewangan
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Riot in Delhi is an article written by VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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Pakistan Ki Phajeehat is an article by VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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Baap bada na maiya is an article by VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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Corona Virus is an article written by VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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bachchon mein bachat kee aadat is an article by VEERANDRA KUMAR DEWANGAN
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Milaavat ke saudaagar is an article by author VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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Raiging is an article by author VEERENDRA KUMAR DEWANGAN
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Life of innocent people in trouble
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Pornographic content on the internet
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Detention Center
Detention Center
175 children missing daily
175 children missing daily
Parental maintenance
Parental maintenance
Police gallantry
Police gallantry
Severe unemployment
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Positive thinking
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Catastrophic fire
Catastrophic fire
kar bhala, to ho bura
kar bhala, to ho bura
Need to give right direction to children
Need to give right direction to children
Just as there is a second innings in sports, so too is a second innings in life. Good players perform well in the first innings, as well as in the second innings. Second innings occur in famous sports like cricket, other sports like kabaddi, badminton, tennis, lawn tennis, balibal, handball etc. The difference is that in these games it is called court swapping. But, this is the second innings.
Just as there is a second innings in sports, so too is a second innings in life. Good players perform well in the first innings, as well as in the second innings. Second innings occur in famous sports like cricket, other sports like kabaddi, badminton, tennis, lawn tennis, balibal, handball etc. The difference is that in these games it is called court swapping. But, this is the second innings.
In Hyderabad, Telangana, where the Havans committed havoc with a female vet, they were killed in an encounter with the police. According to the Telangana police, the incident took place between 5.45 and 6.15 in the morning when they took them to the scene of the four accused for recreation of the incident. On getting off the bus, one of the accused Mohammad Arif snatched the weapon of the police and started firing on the police. Read the book to know more
In Hyderabad, Telangana, where the Havans committed havoc with a female vet, they were killed in an encounter with the police. According to the Telangana police, the incident took place between 5.45 and 6.15 in the morning when they took them to the scene of the four accused for recreation of the incident. On getting off the bus, one of the accused Mohammad Arif snatched the weapon of the police and started firing on the police. Read the book to know more
The book discusses about inflation and the adverse effects on the soceity.
The book discusses about inflation and the adverse effects on the soceity.
The book is about air and water all bad
The book is about air and water all bad
लगभग एक माह तक चले महाराष्ट्र के सियासी द्वंद्व का पटाक्षेप हो गया। भाजपा के हाथ मायूसी लगी, तो उद्धव ठाकरे राकांपा और कांग्रेस की बैशाखी पर सवार होकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
लगभग एक माह तक चले महाराष्ट्र के सियासी द्वंद्व का पटाक्षेप हो गया। भाजपा के हाथ मायूसी लगी, तो उद्धव ठाकरे राकांपा और कांग्रेस की बैशाखी पर सवार होकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन बैठे। यह पहला अवसर है, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य पार्टी गठन के 53 साल बाद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना है।
An inspirational book on management
An inspirational book on management
The book is on era has become roads
The book is on era has become roads
The book talks about degradation of air pollution
The book talks about degradation of air pollution
The book discusses the importance of Teej festivals
The book discusses the importance of Teej festivals
The book discusses the problem of illegal intruders
The book discusses the problem of illegal intruders
प्रस्तुत बाल उपन्यास ‘घर का चिराग’ बच्चाचोरी को लेकर लिखा गया है। इसमें दो अभागे बालकों की कथा है, जिनका बचपन गरीबी ने छिन लिया है। वे बालीउम्र में ही घर का जिम्मा उठाने के लिए बड़
प्रस्तुत बाल उपन्यास ‘घर का चिराग’ बच्चाचोरी को लेकर लिखा गया है। इसमें दो अभागे बालकों की कथा है, जिनका बचपन गरीबी ने छिन लिया है। वे बालीउम्र में ही घर का जिम्मा उठाने के लिए बड़ों की बेरहम दुनिया में निकल पड़े ह ैं। तभी उनका अपहरण हो जाता है। वे हिम्मत नहीं हारते। दिमाग का इस्तेमाल करते हैं। धीरज रखते हैं। समझ से काम लेकर अपने-आप को चोरों से छुड़ाने में सफल हो जाते हैं। उपन्यास गरीब बच्चों के बचपन से आगे निकलने की भी गाथा है, जो बचपन से ही घर का बोझ उठाने में जुटे रहते हैं।
एक अदद इस्पात उद्योग के लिए तरस रहा था। बेरोजगारी चरम पर थी। हालांकि सरकार ने मावलीभाटा, लोहंडीगुड़ा और रायकोट में इस्पात उद्योग लगाने का प्रयास किया, मगर वह इन जगहों में विध्नबाध
एक अदद इस्पात उद्योग के लिए तरस रहा था। बेरोजगारी चरम पर थी। हालांकि सरकार ने मावलीभाटा, लोहंडीगुड़ा और रायकोट में इस्पात उद्योग लगाने का प्रयास किया, मगर वह इन जगहों में विध्नबाधाओं के कारण सफल न होकर ‘नगरनार’ में सफल हुआ। अंधविष्वास और गरीबी पहले भी थी और आज भी है। उग्रवाद पैर पसार रहा था। इन्हीं सब भूली-बिसरी यादों, घटनाओं, आपबीतियों और भोगे यथार्थ में नाम, पता और स्थान बदलकर ‘जैसे को तैसा’ उपन्यास का तानाबाना बुना गया है। उम्मीद है पाठकों को पसंद आएगा।
लघुकथा सहारा 10 साल का दिनेश यह मर्म भली-भांति समझने लगा था कि इंसान सहित जीव-जंतुओं के लिए भोजन और पानी बेहद जरूरी ह Read More...
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था,‘‘वास्तव में, जितने व्यक्ति होते हैं, उतने उनके धर्म होते हैं, किंतु राष्ट्र एक ह Read More...
महाभारत का एक प्रसंग है। महाभारत के महायुद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने से अश्वत्थामा का ह्दय Read More...
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