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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडॉ अजय कुमार, वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है। इन्होंने आयुर्वेदाचार्य की शिक्षा इसी महाविद्यालय से 2005 में पूरी Read More...
डॉ अजय कुमार, वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है। इन्होंने आयुर्वेदाचार्य की शिक्षा इसी महाविद्यालय से 2005 में पूरी की तथा इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से कायचिकित्सा विषय मे एम. डी. और पी.एच. डी. की पढ़ाई पूरी की । इनका मुख्य कार्यक्षेत्र हाइपरटेंशन, कार्डियो-रेस्पिरेटरी और मधुमेह रहा है । इसके पूर्व में इनकी दो पुस्तके “हाइपरटेंशन इन आयुर्वेद” और “मेल इनफर्टिलिटी एंड मैनेजमेंट” पब्लिश हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में लगभग 20 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है ।राष्ट्रीय स्तर के सामचार पत्रों में १०० से भी अधिक हेल्थ सम्बंधित खबरे लिख चुके है | इन्होंने लगभग 30 से अधिक सेमिनारो में व्याख्यान प्रस्तुत किया है, तथा कई सेमिनार भी आयोजित करा चुके है। हिमालय हर्बल हेल्थ केअर द्वारा “जीवक अवार्ड” तथा चरक फार्मा द्वारा “आयुरमेधा अवार्ड” से भी सम्मानित किया जा चुका है। सन 2018 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रचना शारीर विभाग एवं बैकुंठी आयुष रिसर्च एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी , लखनऊ के संयुक्त कॉन्फ्रेंस में डॉ अजय कुमार को आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए "आयुष गौरव" सम्मान से सम्मानित किया गया।
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This book is specially for BAMS Students. This book is Summary of Shlokas of Ayurvedic Kayachikitsa.
This book is specially for BAMS Students. This book is Summary of Shlokas of Ayurvedic Kayachikitsa.
द्रव्यगुण आयुर्वेद का मूल विषय है। 'द्रव्यगुण' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'द्रव्य' तथा 'गुण'। औषधियाँ अपने रस, गुण, वीर्य, विपाक और प्रभाव के द्वारा शरीरान्तर्गत सत्नीव घटकों के साथ
द्रव्यगुण आयुर्वेद का मूल विषय है। 'द्रव्यगुण' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'द्रव्य' तथा 'गुण'। औषधियाँ अपने रस, गुण, वीर्य, विपाक और प्रभाव के द्वारा शरीरान्तर्गत सत्नीव घटकों के साथ सजातीय स्वरूप में अनायास घुल मिलकर अपना इष्ट कार्य करती है। इसके अन्तर्गत औषधीय पादपों - उनकी पहचान, गुण तथा उपचारात्मक उपयोगों का अध्ययन किया जाता है। आयुर्वेद का मत है कि किसी औषधि का प्रभाव उसके किसी एक घटक के अकेले के प्रभाव से प्रायः भिन्न होता है। आयुर्वेद में वनस्पतियों के गुणागुणों को पाँच भागों में भाँटा गया है- रस , गुण , वीर्य , विपाक और प्रभाव । द्रव्यगुण के अध्ययन के लिए बहुत से ग्रन्थ लिखे गए है लेकिन वो सभी इतने विस्तृत है की उन सभी का अध्ययन भी एक दुष्कर कार्य है। इन्ही बातो का ध्यान रखकर इस पुस्तक की रचना संक्षेप में की गयी है जिससे कम समय में सभी चीजों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकें।
The book explains how diabetes can affect physical well-being and lists simple steps to prevent as well as manage diabetes by diet, exercise, yoga and Medication.This book tackles the many insignificant aspects of juggling insulin doses, blood sugar levels and Many misconceptions in diabetes also.
The book explains how diabetes can affect physical well-being and lists simple steps to prevent as well as manage diabetes by diet, exercise, yoga and Medication.This book tackles the many insignificant aspects of juggling insulin doses, blood sugar levels and Many misconceptions in diabetes also.
मधुमेह के नियंत्रण में सबसे जरूरी है रोगी का शिक्षित होना और अपने इन्द्रियों पर क़ाबू होना। चिकित्सक चाहे जितनी अच्छी दवा दे दे लेकिन जब तक खुद रोगी इसके बारे में सावधान नही रहेगा,
मधुमेह के नियंत्रण में सबसे जरूरी है रोगी का शिक्षित होना और अपने इन्द्रियों पर क़ाबू होना। चिकित्सक चाहे जितनी अच्छी दवा दे दे लेकिन जब तक खुद रोगी इसके बारे में सावधान नही रहेगा, उसका मधुमेह काबू में रखना असंभव होगा। मधुमेह के जनक कहे जाने वाले प्रोफेसर जोसलिन ने कहा है “The diabetic who knows more, lives more” यानी कि जो मधुमेह का रोगी अपने रोग के बारे में जितना अधिक जनता है वह उतना ही अधिक दिन जीता है। मधुमेह के रोगियों को अक्सर खाने से शिकायत रहती है। उनका कहना है कि रोज रोज एक ही बोरिंग खाना कोई कैसे खा सकता है। खाने में कोई स्वाद भी नही रहता है और जितना भी खा ले मन तृप्त नही होता है। इस समस्या के लिए एक अलग पृथक अध्याय दिया गया है जहाँ खाने की समस्या को बहुत ही सरल शब्दों में बताया गया है। विभिन्न तालिकाओं के माध्यम से खाद्य पदार्थों के विनिमय को बताया गया है तथा हर पदार्थ को शामिल किया गया है।
स्वस्थ रहने में आहार के साथ साथ हमारे विहार यानी रहन-सहन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आयुर्वेद में ऋतुचर्या, दिनचर्या, स्वस्थ वृत और सद्वृत के सैकड़ो प्रसंग दिए गए है जिनको हम
स्वस्थ रहने में आहार के साथ साथ हमारे विहार यानी रहन-सहन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आयुर्वेद में ऋतुचर्या, दिनचर्या, स्वस्थ वृत और सद्वृत के सैकड़ो प्रसंग दिए गए है जिनको हम अपने जीवन मे उत्तर ले तो बीमारियां पास नही आ सकती है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी कहा गया है की स्वस्थ शरीर में ही ईश्वर का निवास होता है। यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ ही नहीं है, तो ऐसे में वह ईश्वर की बनाई, इतनी प्यारी मानव शरीर रचना का आनंद ही नहीं उठा सकता है। बेशक कोई व्यक्ति करोड़पति हों, लेकिन अगर स्वस्थ ही नहीं है तो वह भला धन का क्या आनंद ले सकता है? सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप अच्छी आदतें बनायें। इससे आप मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ रहेंगे। आपकी आदतें ही आपको स्वस्थ बनाती हैं। कोई भी बदलाव अचानक नहीं आता। अच्छी सेहत के लिए छोटे-छोटे कदम उठायें। जरूरी नहीं कि आप एक ही दिन में सेहतमंद जिंदगी जीने लग जायें। इस दिशा में उठाये गए छोटे-छोटे बदलाव एक समय बाद आपकी सेहत को ठीक बनाने में काफी मददगार साबित होंगे। सेहतमंद रहने के लिए आप हैल्दी डाइट लेते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। इसके अलावा सेहतमंद रहने के लिए आप कई बातों का ध्यान भी रखते हैं। मगर रोजमर्रा की जिंदगी में आप ऐसी कई बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचाती है। प्रस्तुत पुस्तक "बीमारियो को हराएंगे" में ऐसी ही छोटी छोटी मगर उपयोगी बातो को बताया गया है जिनका पालन करके आप पूरी तरीके से स्वस्थ जीवन का लुत्फ़ उठा सकते है और वो भी बगैर एक भी पैसे खर्च किये।
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