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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palफ़रीद अहमद, पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड, नैनीताल जनपद में हल्द्वानी शहर के निवासी हैं। आपका जन्म 15 फरवरी 1986 ई० को श्री ज़फर हुसैन व श्रीमती नसीमा बेग़म के परिवार में हुआ। कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल से स्नातक की उपाधि व शिक्षाशास्त्र तRead More...
फ़रीद अहमद, पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड, नैनीताल जनपद में हल्द्वानी शहर के निवासी हैं। आपका जन्म 15 फरवरी 1986 ई० को श्री ज़फर हुसैन व श्रीमती नसीमा बेग़म के परिवार में हुआ। कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल से स्नातक की उपाधि व शिक्षाशास्त्र तथा पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से उर्दू तथा उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र विषय में प्रथम स्थान सहित स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।
अध्ययन व लेखन में विशेष रुचि रखते हैं जिसके फलस्वरूप आप हिंदी, उर्दू भाषा में शैक्षिक, सामाजिक व साहित्यिक पुस्तकों का लेखन व संपादन कर रहे हैं। अनुवादक के रूप में आपके द्वारा उर्दू साहित्य की कई पुस्तकों का हिंदी अनुवाद किया जा रहा है।
वर्तमान में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में वरिष्ठ संकाय के पद पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
प्रकाशित पुस्तकें:-
· (ترجمہ) ۔ میں ملحد کیوں ہوں
. क्वारंटीन ( हिंदी अनुवाद)
. (ترجمہ) شیلیش مٹیانی کی کہانیاں
۔ अंगारे (हिंदी अनुवाद)
· सामाजिक परिवर्तन
· کنور مہندر سنگھ بیدی: سحر
· संविधान निर्माण की नायिकाएं
· कुँवर महेंदर सिंह बेदी ‘सहर’
· मुखबिरों के ख़त
· मुक़दमा ठण्डा गोश्त- मंटो ( हिंदी अनुवाद)
· परवीन शाकिर (संपादन)
· कैफ़ी आज़मी (संपादन)
· जाँ निसार अख्तर (संपादन)
· स्त्री विमर्श – प्रतिनिधि कविताएं (संपादन)
· उत्तराखण्ड TET
· CBSE – CTET
· ٹیٹ اردو
Read Less...Achievements
भारत विभाजन की उर्दू कहानियाँ
अनुवादक: फ़रीद अहमद
28 जनवरी 1933, हम्बर स्टोन रोड, कैम्ब्रिज, लंदन से चौधरी रहमत अली ने एक किताबचा Now or Never (अभी या कभी नहीं) शीर्षक से प्रकाशित
भारत विभाजन की उर्दू कहानियाँ
अनुवादक: फ़रीद अहमद
28 जनवरी 1933, हम्बर स्टोन रोड, कैम्ब्रिज, लंदन से चौधरी रहमत अली ने एक किताबचा Now or Never (अभी या कभी नहीं) शीर्षक से प्रकाशित किया, जिसमें पंजाब के ‘प’, उत्तर-पश्चिम अफ़गान के ‘अ’, कश्मीर के ‘क’, सिंध ‘स’ तथा बलूचिस्तान के अंतिम लफ्ज़ ‘तान’ को मिला कर “पाकिस्तान” शब्द बनाया गया।
जहाँ एक ओर पत्र-पत्रिकाओं द्वारा इस किताबचे और इस किताबचे के अन्दर गढ़ा गया एक नया शब्द “पाकिस्तान” का खूब मज़ाक उड़ाया गया। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम लीग तथा अन्य सियासी दलों ने भी इस को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए था। जबकि देखा जाये तो मात्र साढ़े चार पन्नों पर लिखे गए इस छोटे से किताबचे में भौगोलिक रूप से बहुत बड़े भू-भाग को चिन्हित कर एक नये राष्ट्र पाकिस्तान की नींव रखी गई थी। धीर-धीरे यह नींव इतनी मज़बूत होती गई कि 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुसलामानों के लिए स्वतंत्र रियासतों का प्रस्ताव पारित किया गया। हालाँकि इस प्रस्ताव में ‘पाकिस्तान’ का नाम नहीं आया था सिर्फ मुसलमानों के लिए स्वतंत्र रियासतों की मांग की गई थी। लेकिन यह अलग स्वतंत्र मुस्लिम...........................
मुहर्रम नामा
उर्दू साहित्य के मशहूर लेखक, संपादक, पत्रकार, निबंधकार, इतिहासकार ख्वाजा हसन निज़ामी द्वारा 'कर्बला साहित्य' पर लिखी गई एक विशेष पुस्तक 'मुहर्रम नामा'.
इ
मुहर्रम नामा
उर्दू साहित्य के मशहूर लेखक, संपादक, पत्रकार, निबंधकार, इतिहासकार ख्वाजा हसन निज़ामी द्वारा 'कर्बला साहित्य' पर लिखी गई एक विशेष पुस्तक 'मुहर्रम नामा'.
इस पुस्तक 'मुहर्रम नामा' में कर्बला की लड़ाई और पैगम्बर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के क़त्ल के वाकिआ को बयान किया गया है.
यह किताब 'मुहर्रम नामा' ख्वाजा हसन निज़ामी द्वारा आज से लगभग 100 वर्ष पहले में उर्दू भाषा में लिखी गई थी. जिसका हिंदी अनुवाद 'फ़रीद अहमद' द्वारा आसान और सरल भाषा में किया गया है.
Welcome to the world of scientific exploration! As you embark on your journey through the fascinating realm of science, we present to you the NCERT Class 10 Science Exam Notes. These notes have been meticulously crafted to provide you with a comprehensive understanding of the concepts covered in the NCERT textbook, enabling you to excel in your examinations.
These exam notes serve as a valuable companion throughout your preparation, providing concise s
Welcome to the world of scientific exploration! As you embark on your journey through the fascinating realm of science, we present to you the NCERT Class 10 Science Exam Notes. These notes have been meticulously crafted to provide you with a comprehensive understanding of the concepts covered in the NCERT textbook, enabling you to excel in your examinations.
These exam notes serve as a valuable companion throughout your preparation, providing concise summaries, key points, and illustrative examples for each chapters. The notes are designed to facilitate quick revision and consolidate your understanding of the subject matter. They are structured in a manner that follows the sequence of topics in the NCERT textbook, allowing for seamless integration with your regular study routine.
Finally, we extend our best wishes to all the students who will be appearing for the Class 10 Science compartment examination. May these exam notes serve as a valuable resource to aid your preparation and help you achieve academic success . Remember, science is not just a subject; it is a way of thinking that empowers you to comprehend the world around you. Embrace the joy of discovery, ask questions, and never stop exploring.
Thanking You
Aamir A. Ansari
“ग़ालिब : क़िस्से, लतीफ़े तंज़”
ग़ालिब की पुर-लुत्फ़ गुफ़्तगू का हर कोई दिवाना था। हालाँकि ग़ालिब कम बोलते थे। लेकिन जो भी बोलते थे उसमें लुत्फ़ की कोई कमी न होती थी। क़िस्से, ल
“ग़ालिब : क़िस्से, लतीफ़े तंज़”
ग़ालिब की पुर-लुत्फ़ गुफ़्तगू का हर कोई दिवाना था। हालाँकि ग़ालिब कम बोलते थे। लेकिन जो भी बोलते थे उसमें लुत्फ़ की कोई कमी न होती थी। क़िस्से, लतीफें और तंज़ ग़ालिब की गुफ़्तगू का एक अहम हिस्सा रहे। लोग ग़ालिब को सुनने के लिए बेताब रहते थे। ग़ालिब की यही पुर-लुत्फ़ गुफ़्तगू ग़ालिब के पत्रों, और अन्य लेखन में जा-ब-जा मिल जाती है। ग़ालिब की इसी पुर-लुत्फ़ गुफ़्तगू को हिंदी पाठकों के लिए इस किताब “ग़ालिब : क़िस्से, लतीफ़े तंज़” में संकलित किया है फ़रीद अहमद ने |
अंगारे
दिसंबर 1932 ई० लखनऊ की ‘निज़ामी प्रेस’ से “अंगारे” शीर्षक से एक किताब प्रकाशित हुई। उर्दू में अपने तर्ज़ की यह एक अलग ही किताब थी। जिसमें 9 कहानियाँ और एक ड्रामा शा
अंगारे
दिसंबर 1932 ई० लखनऊ की ‘निज़ामी प्रेस’ से “अंगारे” शीर्षक से एक किताब प्रकाशित हुई। उर्दू में अपने तर्ज़ की यह एक अलग ही किताब थी। जिसमें 9 कहानियाँ और एक ड्रामा शामिल है। यह कहानी और ड्रामा लिखने वाले लेखकों में 3 मर्द और 1 औरत जिनके नाम सज्जाद ज़हीर, अहमद अली, रशीद जहाँ और महमूदुज़्ज़फ़र हैं। “अंगारे” ने समाज के कई तबकों पर आबले का काम किया। जिसकी जलन से ब्रिटिश भारत में कोहराम सा मच गया। जगह जगह विरोध होने लगे। अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में इस किताब की निंदा करते हुए लेख छपने लगे। मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा फ़तवे दिए जाने लगे।
15 मार्च 1933 ई० को आखिर वो दिन आ ही गया जब भारतीय दण्ड संहिता की धारा 295A के तहत ब्रिटिश संयुक्य प्रांत सरकार ने “अंगारे” पर प्रतिबंध लगा दिया। “अंगारे’ की 5 प्रतियाँ छोड़ समस्त प्रतियाँ जला दी गईं और इन प्रतियों को ब्रिटिश पुस्तकालय व इंडियन ऑफिस कलेक्शन में भेज दिया गया।
मुक़दमा ठंडा गोश्त
‘मंटो’ ने अपनी सबसे विवादित व चर्तित कहानी ‘ठंडा गोश्त’ पर अश्लीलता के आरोप व मुक़दमें की पूरी कहानी का आँखों देखा हाल को अपने ख़ास अंदाज़ में पेश किय
मुक़दमा ठंडा गोश्त
‘मंटो’ ने अपनी सबसे विवादित व चर्तित कहानी ‘ठंडा गोश्त’ पर अश्लीलता के आरोप व मुक़दमें की पूरी कहानी का आँखों देखा हाल को अपने ख़ास अंदाज़ में पेश किया है। जिसमें भारत विभाजन का दर्द, शरणार्थी केम्पों की कुव्यवस्था, अदालत की कार्रवाईयाँ, गवाहों की गवाहियाँ व अदालत की कार्यप्रणालियों का चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहानी ‘ठंडा गोश्त’ के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर तर्क सहित विस्तृत रूप से रोशनी डाली है।
मूल लेख ‘ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ’ के शीर्षक से उर्दू भाषा में 1950 ई० में लिखा गया था. जिसका सरल हिंदी अनुवाद श्री फ़रीद अहमद द्वारा किया गया है.
औरत के जज़्बात, एहसासात, दर्द, शिद्दत और मोहब्बत को अपने नर्म लहज़े व आम अलफ़ाज़ में मोती मोती पिरोकर ग़ज़ल व नज़्म में पेश करने वाली शायरा ‘परवीन शाकिर’ किसी तअर्रुफ़ की मोहताज नह
औरत के जज़्बात, एहसासात, दर्द, शिद्दत और मोहब्बत को अपने नर्म लहज़े व आम अलफ़ाज़ में मोती मोती पिरोकर ग़ज़ल व नज़्म में पेश करने वाली शायरा ‘परवीन शाकिर’ किसी तअर्रुफ़ की मोहताज नहीं हैं जदीद उर्दू शायरात में आपका मुकाम आला और अलग है परवीन शाकिर की शायरी का उन्वान मोहब्बत और औरत है परवीन शाकिर की शायरी में एक औरत अपनी मोहब्बत का इज़हार करती तो कहीं हिज्र के लम्हात बयान करती तो कहीं अपने दर्द को बे-साख्ता बयान करती हुई नज़र आती है परवीन शाकिर एहसासों की शायरा हैं एक नोजवान लड़की के जज़्बात से लेकर एक शादीशुदा औरत और एक माँ की फ़िक्र व तकाजों की कैफियत को परवीन शाकिर ने बेहद इमानदारी व सच्चाई के साथ अपनी नज्मों व ग़ज़लों में हकीकी एहसास के साथ पैश किया है देखा जाए तो उर्दू शायरी की तरीख में परवीन शाकिर से पहले कोई ऐसी शयारा मुस्तनद तौर पर नज़र नहीं आती है जिसके कलाम में एहसासों, जज़्बातों व दर्द की हकीकी व बेबाक तर्ज़ुमानी मिलती हो इस किताब ‘परवीन शाकिर- इन्तिखाब’ में परवीन शाकिर की ज़िन्दगी के मुख़्तसर हालात और उनके कलाम का इन्तिखाब किया गया है उम्मीदवार हूँ कि उर्दू शायरी ख़ासकर परवीन शाकिर से मोहब्बत रखने वालों के लिए ये किताब काबिल-ऐ-सुकून होगी शुक्रिया
संपादक फरीद अहमद
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