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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
शक्तिपात एक आध्यात्मिक विज्ञान है जिसके द्वारा साधक द्वारा अलौकिक आनंद की प्राप्ति तथा माया निवृत्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. प्राचीनकालीन यह विद्या कभी अप्रगट तो कभी प
शक्तिपात एक आध्यात्मिक विज्ञान है जिसके द्वारा साधक द्वारा अलौकिक आनंद की प्राप्ति तथा माया निवृत्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. प्राचीनकालीन यह विद्या कभी अप्रगट तो कभी प्रगट आज तक अनवरत चलता चला आ रहा है. सच पूछा जाये तो आध्यात्मिक उत्थान के लिए शक्ति की जाग्रति अनिवार्य आवश्यकता है जो की शक्तिपात का विषय है. शक्तिपात की दीक्षा लेने के बाद मोक्ष का रास्ता खुल जाता है.
शक्तिपात विज्ञान को यहाँ पर प्रश्नोत्तर शैली में व्याख्यायित करने का प्रयत्न किया गया है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुस्तक की भाषा सरल रखी गई. पुस्तक साधकों और जनसाधारण के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है.
2011 में इस पुस्तक के प्रथम संस्करण के प्रकाशित होने के 10 साल बाद पुनः इसका द्वितीय संस्करण प्रस्तुत करते हुए मैं अपने आपको धन्य महसूस कर रहा हूँ। पुस्तक कैसा बन पड़ा है, तत्संबंध में आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा करता हूँ। गुरु कृपा सब पर बनी रहे, इसी विश्वास के साथ.
छत्तीसगढ़ के महान सपूत वीरनारायण सिंह का जन्म 1795 में हुआ था. वे बालयकाल से ही पराक्रमी व मेघावी थे. छोटे सरकार के नाम से प्रसिद्द वीरनारायण सिंह अत्याचार , अन्याय व शोषण के सख्त व
छत्तीसगढ़ के महान सपूत वीरनारायण सिंह का जन्म 1795 में हुआ था. वे बालयकाल से ही पराक्रमी व मेघावी थे. छोटे सरकार के नाम से प्रसिद्द वीरनारायण सिंह अत्याचार , अन्याय व शोषण के सख्त विरोधी थे. जमीदार बनते ही उन्हें इन सब गुणों को प्रदर्शित करने का मौका मिला. सन 1856 में छत्तीसगढ़ के सोनाखान क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा. लोग भूखे मरने लगे. लोगो की जान की रक्षा के लिए उन्होंने कसडोल के एक व्यापारी माखन के गोदाम से अनाज निकालकर भूखी प्रजा में बाँट दिया. तब, तत्कालीन ब्रिटिश शासन के अधिकारीयों ने इस प्रभावी और देशभक्त नेता पर टूट और डकैती का आरोप लगाकर फांसी की निर्मम सजा दी. प्रस्तुत नाटक छोटे सरकार वस्तुतः वीरनारायण सिंह की इसी वीरगाथा को संक्षिप्त रूप से व्याख्यायित करने का प्रयत्न है.
छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के पृष्ठों में क्रांतिवीर अमर शहीद वीरनारायण सिंह का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। वे छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान व अस्मिता के प्रतीक
छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के पृष्ठों में क्रांतिवीर अमर शहीद वीरनारायण सिंह का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। वे छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान व अस्मिता के प्रतीक हैं। निश्चित ही उन पर उपन्यास लेखन एक श्रमसाध्यपूर्ण कार्य है जिसे इस उपन्यासकार ने अपने संकल्पित प्रयास से पूर्ण किया है। फिल्मांकन के परिप्रेक्ष्य में भी यह एक महत्वपूर्ण कार्य हो सकता है जो छत्तीसगढ़ के सर्वजनीय समाज को लाभान्वित करेगा।
Scientific analysis of the concept of Naxalism has been done in the presented book. In Bastar (Chhattisgarh) , in the perspective of Naxalism, the events of the beginning have been analyzed so far. In the present volume, the rise of Naxalism in West Bengal, its activity in Andhra Pradesh and its activism in Dandakaranya of Naxalites, tribal revolt, The activation of peoples war group in Dandakaranya, Janjagran campaign, the origin and conflict of Salwa Judum, Exp
Scientific analysis of the concept of Naxalism has been done in the presented book. In Bastar (Chhattisgarh) , in the perspective of Naxalism, the events of the beginning have been analyzed so far. In the present volume, the rise of Naxalism in West Bengal, its activity in Andhra Pradesh and its activism in Dandakaranya of Naxalites, tribal revolt, The activation of peoples war group in Dandakaranya, Janjagran campaign, the origin and conflict of Salwa Judum, Explanation of the violation of human rights in the lining, in five chapters. This text makes available complete information on Naxalism and Salwa Judum in the same intervals.
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