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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palgraduate of law from Campus Law Centre, University of Delhi. Have an honour to study by Padamshree Prof. Upendra Buxi, Padamshree Prof. N.R.M. Menon, Padamshree Prof. M.P. Singh. Working as Civil and divorce lawyer . He is a social worker and remained President of Rotary Club. Organised several cataract operation camps and health camps in villages. Installed several deep bre handpumps in villages where drinking water was a problem.Read More...
graduate of law from Campus Law Centre, University of Delhi. Have an honour to study by Padamshree Prof. Upendra Buxi, Padamshree Prof. N.R.M. Menon, Padamshree Prof. M.P. Singh. Working as Civil and divorce lawyer . He is a social worker and remained President of Rotary Club. Organised several cataract operation camps and health camps in villages. Installed several deep bre handpumps in villages where drinking water was a problem.
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The Indian Evidence Act 1872 is replaced with Bharatiy Sakshya Adhiniyam 2023. The old Act had become redundant by the passage of time and therefore the need arose to change it completely instead of making many amendments.
The Indian Evidence Act 1872 is replaced with Bharatiy Sakshya Adhiniyam 2023. The old Act had become redundant by the passage of time and therefore the need arose to change it completely instead of making many amendments.
The Indian Evidence Act 1872 is replaced with Bharatiy Sakshya Adhiniyam 2023. The old Act had become redundant by the passage of time and therefore the need arose to change it completely instead of making many amendments.
The Indian Evidence Act 1872 is replaced with Bharatiy Sakshya Adhiniyam 2023. The old Act had become redundant by the passage of time and therefore the need arose to change it completely instead of making many amendments.
ये किताब छोटी छोटी कहानियों का संग्रह है . दरअसल में ये कहानियाँ नहीं हैं वरन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं का संकलन है. जो हमारे दिल को झकझोर जाती हैं और
ये किताब छोटी छोटी कहानियों का संग्रह है . दरअसल में ये कहानियाँ नहीं हैं वरन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं का संकलन है. जो हमारे दिल को झकझोर जाती हैं और स्मृति पटल पर एक अमिट छाप छोड़ जातीं हैं . ये घटनाएं हमारी जीवन शैली को परिवर्तित करने की क्षमता रखती हैं और कुछ नया सोचने को बाध्य कर देती हैं . आइये इन लघु कहानियों पर एक नजर डालें और समाज के प्रति अपना दृष्टिकोण निर्धारित करके एक अच्छे समाज के गठन की ओर अग्रसर होने का प्रयास करें.
ये किताब छोटी छोटी कहानियों का संग्रह है . दरअसल में ये कहानियाँ नहीं हैं वरन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं का संकलन है. जो हमारे दिल को झकझोर जाती हैं और
ये किताब छोटी छोटी कहानियों का संग्रह है . दरअसल में ये कहानियाँ नहीं हैं वरन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं का संकलन है. जो हमारे दिल को झकझोर जाती हैं और स्मृति पटल पर एक अमिट छाप छोड़ जातीं हैं . ये घटनाएं हमारी जीवन शैली को परिवर्तित करने की क्षमता रखती हैं और कुछ नया सोचने को बाध्य कर देती हैं . आइये इन लघु कहानियों पर एक नजर डालें और समाज के प्रति अपना दृष्टिकोण निर्धारित करके एक अच्छे समाज के गठन की ओर अग्रसर होने का प्रयास करें.
अक्सर आम जनता को ये जिज्ञासा होती है की अदालत के अन्दर कोर्ट में मुकदमों की कार्यवाही किस प्रकार होती है . अधिकतर हिंदी फिल्मों में अदालत की कार्यवाही का जो चित्रण किया जाता है व
अक्सर आम जनता को ये जिज्ञासा होती है की अदालत के अन्दर कोर्ट में मुकदमों की कार्यवाही किस प्रकार होती है . अधिकतर हिंदी फिल्मों में अदालत की कार्यवाही का जो चित्रण किया जाता है वो बहुत ही नाटकीय और सत्यता से बहुत दूर होता है . कानून के दांव पेंच इस प्रकार दिखाए जाते हैं जिस से दर्शक ताली बजाएं और हीरो को वाह वाही मिले .
इस किताब में लेखक ने अदालत में हुए मुकदमों की वास्तविक कार्यवाही को दर्शाया है . कानून का विस्तृत वर्णन किया है . अदालत में केस लड़ने से पूर्व एक वकील को घर पर उस मुकदमें की तैयारी किस प्रकार करनी होती है और उसमें कितनी मेहनत लगती है ये दिखाया है . किस प्रकार मुक़दमे में गवाही होती है और किस प्रकार मुकदमा ऐन वक्त पर पलट जाता है ये दर्शाया है .
किताब में दिखाए गए सभी मुकदमें सच्ची घटनाओ पर आधारित हैं परन्तु पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं जिस से पवित्रता बनी रहे और किरदारों के केस उजागर न हों
Set out below are some of the Key Highlights of the New Act:
- Covers E-Commerce Transactions
- Enhancement of Pecuniary Jurisdiction
- E-Filing of Complaints
- Establishment of Central Consumer Protection Authority
- The CCPA has been granted wide powers to take suo-moto actions, recall products, order reimbursement of the price of goods/services, cancel licenses and file class action suits, if a consumer complaint affe
Set out below are some of the Key Highlights of the New Act:
- Covers E-Commerce Transactions
- Enhancement of Pecuniary Jurisdiction
- E-Filing of Complaints
- Establishment of Central Consumer Protection Authority
- The CCPA has been granted wide powers to take suo-moto actions, recall products, order reimbursement of the price of goods/services, cancel licenses and file class action suits, if a consumer complaint affects more than 1 (one) individual.
- Product Liability & Penal Consequences
- Unfair Trade Practices: The New Act introduces a specific broad definition of Unfair Trade Practices, which also includes sharing of personal information given by the consumer in confidence, unless such disclosure is made in accordance with the provisions of any other law.
- Penalties for Misleading Advertisement
- The New Act fixes liability on endorsers considering that there have been numerous instances in the recent past where consumers have fallen prey to unfair trade practices under the influence of celebrities acting as brand ambassadors.
- Provision for Alternate Dispute Resolution
This book includes :
1. The Consumer Protection ( Mediation )Rules, 2020
2. The Consumer Protection Rules , 2020
3. The Consumer Protection ( General Rules) 2020
4. The Consumer Protection ( E Commerce) Rules, 2020
5. The Central Consumer Protection Authority
This book includes :
1. The Consumer Protection ( Mediation )Rules, 2020
2. The Consumer Protection Rules , 2020
3. The Consumer Protection ( General Rules) 2020
4. The Consumer Protection ( E Commerce) Rules, 2020
5. The Central Consumer Protection Authority
( Allocation and Transaction of Business) Regulations, 2020
6. The Consumer Protection( Administrative Control
over the State Commission and the District Commission)
Regulations, 2020
7. The Consumer Protection ( Mediation) Regulations ,
2020
8. The Consumer Protection ( Consumer Commission Procedure) Regulations, 2020
यह किताब मैंने हिंदुस्तान के उन लोगों के लिए लिखी है जिन्हें कानून की अच्छी समझ नहीं है. यह किताब मैंने हिंदुस्तान की साधारण जनता के लिए लिखी है. मैंने यह समझा है कि आम जनता कानून
यह किताब मैंने हिंदुस्तान के उन लोगों के लिए लिखी है जिन्हें कानून की अच्छी समझ नहीं है. यह किताब मैंने हिंदुस्तान की साधारण जनता के लिए लिखी है. मैंने यह समझा है कि आम जनता कानून की पेचीदगियों को अच्छी तरह से नहीं समझ सकती है. कानून को समझने के लिए उन्हें ऐसी किताब मिलना चाहिए जिसे वे अपनी भाषा में अच्छी तरह से समझ सकें . आमतौर पर कानून की जो किताबें हैं उन में जटिल और वैज्ञानिक भाषा का उपयोग किया गया है. मेरा मानना है कि कानून को सरल भाषा में समझाना चाहिए.
इस से पूर्व मैंने एक किताब “ हिन्दू विवाह एवं तलाक़ के कानून” तथा “रोजाना काम में आने वाले कानून” लिखी थी , जिसे आप सबका बहुत सहयोग मिला . मुझे इतना मान देने के लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद. इस पुस्तक में उन दोनों पुस्तकों को समाहित किया गया है . पुस्तक पसंद आए तो मुझे चिट्ठी अवश्य लिखियेगा, मेरी हिम्मत बढ़ेगी और मैं भविष्य में इस तरह की अन्य किताबें निकालने का प्रयास करूंगा.
आमतौर पर सरकारें आम जनता के लिए बहुत सी अनुदान योजनायें बनाती हैं , परन्तु हम लोग उन योजनायों के बारें में जानकारी न होने के कारण उसका फायदा नहीं उठा पाते . सरकारी योजनायों को जनता
आमतौर पर सरकारें आम जनता के लिए बहुत सी अनुदान योजनायें बनाती हैं , परन्तु हम लोग उन योजनायों के बारें में जानकारी न होने के कारण उसका फायदा नहीं उठा पाते . सरकारी योजनायों को जनता तक पहुंचाने के लिए उसका प्रचार प्रसार बहुत आवश्यक है . इस किताब में ५४ ऐसी योजनाओं का जिक्र है जिनका आम जनता फायदा उठा सकती है .यह किताब मैंने इसी उद्देश्य से लिखी है . इस किताब में सरकार द्वारा चालू अनुदान योजनायों का वर्णन है तथा ये भी बताया गया है कि इन योजनायों का लाभ किस तराह से लिया जा सकता है, कौन कौन उस योजना का पात्र होगा तथा लाभ लेने की प्रक्रिया क्या होगी . भाषा को सरल रखने का प्रयास किया गया है जिस से सभी आम लोगों की समझ में आ सके
The Negotiable Instruments Act 1881 is a very important Act in today’s corporate world. It governs the dealing in negotiable instruments such as cheaques, bills, hundis etc. Section 138 of the Act is very important and relates to bouncing of cheaques due to insufficiency of funds. Recently the Supreme court in“Dashrath Roop Singh Rathod VS State of Maharashtra”, held that the complaint can be filed in the court at the place of branch where the drawer of the
The Negotiable Instruments Act 1881 is a very important Act in today’s corporate world. It governs the dealing in negotiable instruments such as cheaques, bills, hundis etc. Section 138 of the Act is very important and relates to bouncing of cheaques due to insufficiency of funds. Recently the Supreme court in“Dashrath Roop Singh Rathod VS State of Maharashtra”, held that the complaint can be filed in the court at the place of branch where the drawer of the cheaque had the bank account. This observation led to huge difficulties, hence the legislatures amended section 142 and added sub section (2) prescribing that the place where the drawee is having account will be the place of jurisdiction to file the complaint. Another very important amendment was made in the Act by giving the court power to condone delay in filling the complaint if the reason of delay is well explained. Section 143(A) is also added by the amendment Act 2018 giving the courts power to award 20% of the cheaque amount to the complainant straight away at the preliminary stage. However in the case of G.J. RAJA vs. TEJRAJ SURANA [SUPREME COURT OF INDIA] decided on 30-07-2019 the honable Supreme Court held that the provision of Section 143 A is prospective in nature and will be applicable to the offences committed after introduction of section 143 A. The summons of the court can also be served through speed post and also through courier services duly approved by the concerning district court.
The Constitution of India is reproduced here.
The Constitution of India is reproduced here.
This book is prepared keeping in mind the difficulties faced by the medical practitioners with respect to legal formalities they come across during their practice. Law is a field, the prima facie knowledge of which is very much essential. In the modern day world the patients are becoming so restless that they approach the police and courts for petty reasons. In such a situation if a doctor is aware of the legal position, it would become easier for him to handle t
This book is prepared keeping in mind the difficulties faced by the medical practitioners with respect to legal formalities they come across during their practice. Law is a field, the prima facie knowledge of which is very much essential. In the modern day world the patients are becoming so restless that they approach the police and courts for petty reasons. In such a situation if a doctor is aware of the legal position, it would become easier for him to handle the public and law enforcement agencies at the peak time of problem . The legal help of lawyer or friends take time to reach. Not only this but running of Hospital, and nursing home requires so many legal formalities in day to day working that a book containing such provisions is a must keep for all doctors. I have tried to compile all related laws in this book and also the related rulings are mentioned. I have tried to explain certain implications of law and their remedy.
The Digital Age has ushered in a new era of commerce and digital branding, as well as a new set of customer expectations. Digitisation has provided easy access, a large variety of choice, convenient payment mechanisms, improved services and shopping as per convenience. However, along the growth path it also brought in challenges related to consumer protection. Keeping this in mind and to address the new set of challenges faced by consumers in the digital age, th
The Digital Age has ushered in a new era of commerce and digital branding, as well as a new set of customer expectations. Digitisation has provided easy access, a large variety of choice, convenient payment mechanisms, improved services and shopping as per convenience. However, along the growth path it also brought in challenges related to consumer protection. Keeping this in mind and to address the new set of challenges faced by consumers in the digital age, the Indian Parliament, on 6 August 2019, passed the landmark Consumer Protection Bill, 2019 which aims to provide the timely and effective administration and settlement of consumer disputes. The Consumer Protection Act, 2019 (New Act) received the assent of the President of India and was published in the official gazette on 9 August 2019. The New Act will come into force on such date as the Central Government may so notify. The New Act seeks to replace the more than 3 (three) decades old Consumer Protection Act, 1986 (Act).
The Digital Age has ushered in a new era of commerce and digital branding, as well as a new set of customer expectations. Digitisation has provided easy access, a large variety of choice, convenient payment mechanisms, improved services and shopping as per convenience. However, along the growth path it also brought in challenges related to consumer protection. Keeping this in mind and to address the new set of challenges faced by consumers in the digital age, th
The Digital Age has ushered in a new era of commerce and digital branding, as well as a new set of customer expectations. Digitisation has provided easy access, a large variety of choice, convenient payment mechanisms, improved services and shopping as per convenience. However, along the growth path it also brought in challenges related to consumer protection. Keeping this in mind and to address the new set of challenges faced by consumers in the digital age, the Indian Parliament, on 6 August 2019, passed the landmark Consumer Protection Bill, 2019 which aims to provide the timely and effective administration and settlement of consumer disputes. The Consumer Protection Act, 2019 (New Act) received the assent of the President of India and was published in the official gazette on 9 August 2019. The New Act will come into force on such date as the Central Government may so notify. The New Act seeks to replace the more than 3 (three) decades old Consumer Protection Act, 1986 (Act).
Hindu Marriage Act , 1955 Family Courts Act, 1984 U.P. Hindu Marriage Registration Rules, 1973 Hindu Adoption and Maintenance Act , 1956 Hindu Minority and Gaurdianship Act, 1956 Hindu Succession Act, 1956 Muslim Women ( Protection of Rights on Marriage) Bill , 2017 Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 Muslim Women (Protection of Rights on Divorc
Hindu Marriage Act , 1955 Family Courts Act, 1984 U.P. Hindu Marriage Registration Rules, 1973 Hindu Adoption and Maintenance Act , 1956 Hindu Minority and Gaurdianship Act, 1956 Hindu Succession Act, 1956 Muslim Women ( Protection of Rights on Marriage) Bill , 2017 Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Rules, 1986 Dissolution of Muslim Marriages Act, 1939 Special Marriage Act, 1954 Indian Succession Act, 1925
ये किताब मेरे द्वारा समय समय पर लिखी गई कविताओं का संग्रह है . जीवन के इस खजाने को मैंने अपने कैमरे से खींची गई फोटोज के साथ संग्रहित करने का प्रयास किया है .
ये किताब मेरे द्वारा समय समय पर लिखी गई कविताओं का संग्रह है . जीवन के इस खजाने को मैंने अपने कैमरे से खींची गई फोटोज के साथ संग्रहित करने का प्रयास किया है .
इस किताब में कानून को अत्यंत सरल भाषा में समझाया गया है . रोजाना हम ऐसी परिस्तिथियों से गुजरते हैं जहां हम सोचते है कि अमुक कानून पता होता तो अच्छा होता . यहाँ पर ऐसे ही कानूनों के ब
इस किताब में कानून को अत्यंत सरल भाषा में समझाया गया है . रोजाना हम ऐसी परिस्तिथियों से गुजरते हैं जहां हम सोचते है कि अमुक कानून पता होता तो अच्छा होता . यहाँ पर ऐसे ही कानूनों के बारे में बताया गया है . लेखक का विश्वास है कि भारत की जनता कानून के प्रति जब तक जागरूक नहीं होगी तब तक सही मायनों में हम लोकतंत्र का फायदा नहीं उठा सकतें हैं . अपने अधिकारों के प्रति जागरूक तभी हो सकतें हैं जब हमें कानून की जानकारी हो . विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं में मिलने वाले मुआवजे. पॉवर आफ अटॉर्नी से हुए सम्पत्ति की खरीद बेच पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर . वसीयत कैसे बनाए व् कोर्ट में किस आधार पर चुनोती दें. पुलिस के रिपोर्ट दर्ज न करने पर क्या करें . चेक बाउंस का मुकदमा कैसे करें. किरायेदार की बेदखली कैसे करें . होम लोन कैसे लें . इन सभी विषयों पर चर्चा इस किताब में की गयी है .
यह किताब हिंदुस्तान के उन लोगों के लिए लिखी गई है जिन्हें कानून की अच्छी समझ नहीं है. आम जनता कानून की पेचीदगियों को अच्छी तरह से नहीं समझ सकती है. कानून को समझने के लिए उन्हें ऐसी क
यह किताब हिंदुस्तान के उन लोगों के लिए लिखी गई है जिन्हें कानून की अच्छी समझ नहीं है. आम जनता कानून की पेचीदगियों को अच्छी तरह से नहीं समझ सकती है. कानून को समझने के लिए उन्हें ऐसी किताब मिलना चाहिए जिसे वे अपनी भाषा में अच्छी तरह से समझ सकें . आमतौर पर कानून की जो किताबें हैं उन में जटिल और वैज्ञानिक भाषा का उपयोग किया गया है. कानून को सरल भाषा में समझाना चाहिए. बेशक यह किताब वकीलों के लिए नहीं है. न हीं इसमें बहुत सारी रुलिंग्स का जिक्र है क्योंकि इस तरह से किताब अत्यंत जटिल हो जाएगी और फिर आम जनता की बोलचाल की भाषा से दूर हो जाती है. उसे समझने में भी उन्हें बहुत परेशानी होती है.
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