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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइन्हें बचपन से ही लिखने का शोक रहा है। अपनी भावनाएं कविता और ग़ज़ल के माध्यम से सरल भाषा में बड़ी सुंदरता से व्यक्त करना इनकी खासीयत है। इनका मानना है कि भावनाएं पाठकों के हृदय को छुनी चाहिए जिसे वे सरलता से पढ़कर समझकर सकें। इसी कRead More...
इन्हें बचपन से ही लिखने का शोक रहा है। अपनी भावनाएं कविता और ग़ज़ल के माध्यम से सरल भाषा में बड़ी सुंदरता से व्यक्त करना इनकी खासीयत है। इनका मानना है कि भावनाएं पाठकों के हृदय को छुनी चाहिए जिसे वे सरलता से पढ़कर समझकर सकें। इसी कारण ये अपने श्रोताओं के लिए कविता पाठ भी करती हैं जिसे इनके YouTube channel Kavita by SavitaPatil पर आसानी से सुना जा सकता हैं।
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यह कविताएं या रचनाएं ज़िन्दगी के अलग - अलग पड़ावो पर ठहरकर, ज़िन्दगी की बदलती कहानी से गुजरती हैं। तभी तो, ये सफ़र आपको अपनी ही ज़िन्दगी लगेगा। यह " कहानी बदलती रहेगी " संग्रह
यह कविताएं या रचनाएं ज़िन्दगी के अलग - अलग पड़ावो पर ठहरकर, ज़िन्दगी की बदलती कहानी से गुजरती हैं। तभी तो, ये सफ़र आपको अपनी ही ज़िन्दगी लगेगा। यह " कहानी बदलती रहेगी " संग्रह पाठकों और श्रोताओं को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि ये कविताएं, न केवल आपका आइना हैं, बल्कि बहुत कुछ सिखाती भी हैं, दिशा दिखाती हैं। ये कविताएं सच से अवगत कराती हैं साथ ही कहीं हाथ थमाकर उत्साहित भी करती हैं, प्रेरणा देती हैं। ये ज़िन्दगी जीना सीखाती हैं।
यह कविताएं या रचनाएं ज़िन्दगी के अलग - अलग पड़ावो पर ठहरकर, ज़िन्दगी की बदलती कहानी से गुजरती हैं। तभी तो, ये सफ़र आपको अपनी ही ज़िन्दगी लगेगा। यह " कहानी बदलती रहेगी " संग्रह
यह कविताएं या रचनाएं ज़िन्दगी के अलग - अलग पड़ावो पर ठहरकर, ज़िन्दगी की बदलती कहानी से गुजरती हैं। तभी तो, ये सफ़र आपको अपनी ही ज़िन्दगी लगेगा। यह " कहानी बदलती रहेगी " संग्रह पाठकों और श्रोताओं को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि ये कविताएं, न केवल आपका आइना हैं, बल्कि बहुत कुछ सिखाती भी हैं, दिशा दिखाती हैं। ये कविताएं सच से अवगत कराती हैं साथ ही कहीं हाथ थमाकर उत्साहित भी करती हैं, प्रेरणा देती हैं। ये ज़िन्दगी जीना सीखाती हैं।
जन्म और मृत्यु के बीच एक जीवन, एक मन जिसे कभी सब पाने का आनंद है और खोने का भय भी। वही मन जो अंहकार और मोह से ग्रस्त है। यह सब किसी न किसी उत्कंठा का परिणाम ही है। पर इन सबसे परे, एक इच्
जन्म और मृत्यु के बीच एक जीवन, एक मन जिसे कभी सब पाने का आनंद है और खोने का भय भी। वही मन जो अंहकार और मोह से ग्रस्त है। यह सब किसी न किसी उत्कंठा का परिणाम ही है। पर इन सबसे परे, एक इच्छा जो हमें उस राम तक ले जाए, बस,वही जीवन को सार्थक कर जाती है।
यह हमें तय करना होगा कि इन इच्छाओं की दिशा क्या हो। इस कविता संग्रह में अलग – अलग रूप है उत्कंठा के। कविताओं का प्रवाह भौतिक स्वरूप से आध्यामिकता की ओर है। कवयित्री का प्रयास है कि एक योग्य संदेश पाठकों तक पहुंत पाए। इनकी प्रेरणादायक कविताएं पाठकों एवं श्रोताओं में प्रचलित हैं। इनका यही प्रयास रहता है कि विचारों को सही दिशा मिले।
“किसी असीम आकाश में…
जगमगाता सूरज नहीं मैं तो क्या,
एक टिम – टिमाता दीपक ही सही!
नहीं रोशन मुझसे ये संसार तो क्या,
है मुझसे उजागर एक कुटिया तो कहीं!”
यह पंक्तियां आप
“किसी असीम आकाश में…
जगमगाता सूरज नहीं मैं तो क्या,
एक टिम – टिमाता दीपक ही सही!
नहीं रोशन मुझसे ये संसार तो क्या,
है मुझसे उजागर एक कुटिया तो कहीं!”
यह पंक्तियां आपने “अनुभवों का गुलदस्ता “ की “अस्तित्व” कविता में पढ़ी और सुनी भी है। उल्लेख करने का उद्देश्य यह है कि इसी विषय को इस कविता संग्रह “अस्तित्व एक खोज” में विस्तार से लिया गया है। यह कविताएं प्रेरणादायक हैं।
सभी रचनाएं आप सभी के लिए है। यहां हम किसी एक के अस्तित्व की बात नहीं कर रहे, अपितु यह प्रवास है प्रत्येक का। हमें सभी के होने का आभास करना है फिर वह स्त्री है या पुरूष, या वह भी जो इनमें से कोई नहीं। जो भी इस संग्रह को पढ़े या सुने, उसे कोई न कोई रचना अपनी ही मन की बात लगे, यही ईश्वर चरण प्रार्थना।
कवयित्री सविता पाटील जी की इससे पहले प्रकाशित दो कविता संग्रह "अनुभवों का गुलदस्ता "(2019) और "प्रेरणा और प्रयास" (2021) से पाठक और श्रोता गण अवगत हैं। आशा है, आप तक यह सारी भावनाएं भी पहुंच पायेंगी। यह संग्रह आप सभी पाठकों और श्रोताओं को अर्पित है। सहृदय स्वीकार करें।
“शब्दों की दुनिया में बसती हूँ
जो हृदय कहे वही लिखती हूँ
पता क्या बताएं, गुमनाम हूँ
किया ही क्या है...
जो अपने बारे में कुछ कहूँ ?
अभी सी
“शब्दों की दुनिया में बसती हूँ
जो हृदय कहे वही लिखती हूँ
पता क्या बताएं, गुमनाम हूँ
किया ही क्या है...
जो अपने बारे में कुछ कहूँ ?
अभी सीखना बहुत बाकी है,
तृष्णा शेष है,
सकल संसार मेरा साकी है !
पहचान मुझे न मिले...
तो ना सही,
शब्द मेरे अमर हो जाए,
बस आस यही !
किंचित अनुभवों का संचय,
तन सवि, मन कवि,
बस, यही मेरा परिचय !!”
यह कविता संग्रह, संचय है अनुभवों का। हर कविता अपनेआप में परिपूर्ण है। कवयित्री ने अपने भाव इस तरह उतारे हैं कि पाठक को ये कविताएं संजीव प्रतीत होती हैं। पाठकों को ये कविताएं अपने
यह कविता संग्रह, संचय है अनुभवों का। हर कविता अपनेआप में परिपूर्ण है। कवयित्री ने अपने भाव इस तरह उतारे हैं कि पाठक को ये कविताएं संजीव प्रतीत होती हैं। पाठकों को ये कविताएं अपने ही जीवन का प्रतिबिम्ब लगती हैं। कुछ सुनाती, कुछ सिखाती, कुछ समझाती और कुछ सुहाती ये कविताएं आप सभी पाठकों को अर्पित हैं।
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