"कुछ अल्फाज ऐसे होते है जिसे कह तो नही सकते है पर उस अनकहे अल्फाज को कागज पर उतार सकते है।"
एक मजदूर की व्यथा , कैसे भूक से मर रहे है ये , ना खाने को अन्न है, और न रहने को छत है। जाये तो जाये कहाँ, कहे भी तो किससे Read More...
बचपन के दिन भी कितने रंगीन हुआ करते थे , न कोई शोर था , न कोई पराया था। सब अपने थे ओर प्यार भी बेशुमार था। माँ पापा का प् Read More...
एक डायरी जो बिन बोले बहुत कुछ बोल जाती है, बिना आवाज किये ही बहुत कुछ बोल जाती है। एक डायरी इंसान की एक सच्ची दोस्त हो Read More...