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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalName-Nishant kumar soni Education-Bsc-bio- Ma-hindi Job-Govt-Lec-Hindi Award-Education award,vidhansaba best teacher award Delhi patrika Tarejammeen pr rachnye prakashit wardno9shakti ranisagrpara ansuya bhavan(rajusoni ka makan)pin code495689Chattisgadh) mob 9399747611Read More...
Name-Nishant kumar soni
Education-Bsc-bio- Ma-hindi
Job-Govt-Lec-Hindi
Award-Education award,vidhansaba best teacher award
Delhi patrika Tarejammeen pr rachnye prakashit wardno9shakti ranisagrpara ansuya bhavan(rajusoni ka makan)pin code495689Chattisgadh)
mob 9399747611
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कवि का कोई समाज नहीं होता, कवि स्वयं एक समाज होता है
कवि का कोई समाज नहीं होता, कवि स्वयं एक समाज होता है
The poet has no society the poet him self is a society
The poet has no society the poet him self is a society
जिंदा से न पूछना उसका फालसाफा जो श्री राहा हो जाब देगा
जिंदा से न पूछना उसका फालसाफा जो श्री राहा हो जाब देगा
The poet has no society the poet him self is a society
The poet has no society the poet him self is a society
जिंदा से न पूछना उसका फालसाफा जो श्री राहा हो जाब देगा
जिंदा से न पूछना उसका फालसाफा जो श्री राहा हो जाब देगा
उनकी नजमो मे जो लिखा बेहथर लिखा, लेकिन जो हमने लिखा इसका अहसास है अनहे।
उनकी नजमो मे जो लिखा बेहथर लिखा, लेकिन जो हमने लिखा इसका अहसास है अनहे।
हर बार चता है, मेरा दिल तेरी रूह मुझ में है तुझ अपना गम बटा
हर बार चता है, मेरा दिल तेरी रूह मुझ में है तुझ अपना गम बटा
दरद का सिलसिला कम भी न होता फिर भी आज तक जंग जरी है
दरद का सिलसिला कम भी न होता फिर भी आज तक जंग जरी है
रिश्तों को हर रोज टूट कर बिखरते देखा , नाउम्मीदी से मुझे जीने का अनुभव आ गया
रिश्तों को हर रोज टूट कर बिखरते देखा , नाउम्मीदी से मुझे जीने का अनुभव आ गया
रिश्तों को हर रोज टूट कर बिखरते देखा , नाउम्मीदी से मुझे जीने का अनुभव आ गया
रिश्तों को हर रोज टूट कर बिखरते देखा , नाउम्मीदी से मुझे जीने का अनुभव आ गया
कोई नया आलम आएगा और फूल खिलेंगे बहार के
कोई नया आलम आएगा और फूल खिलेंगे बहार के
कोई नया आलम आएगा और फूल खिलेंगे बहार के
कोई नया आलम आएगा और फूल खिलेंगे बहार के
वेदना के चरम से , कुछ लिख रहा हूँ
वेदना के चरम से , कुछ लिख रहा हूँ
वेदना के चरम से , कुछ लिख रहा हूँ
वेदना के चरम से , कुछ लिख रहा हूँ
शब्द की जादूगरी उसे रास आ ही गई उसने निभाई शब्द से यारी
शब्द की जादूगरी उसे रास आ ही गई उसने निभाई शब्द से यारी
शब्द की जादूगरी उसे रास आ ही गई उसने निभाई शब्द से यारी
शब्द की जादूगरी उसे रास आ ही गई उसने निभाई शब्द से यारी
एक चेहरा जिसे आईना समझ कर दिल मे सजा रखा था , क्या पता था हमारी आँखो के लिए उसने आँसू संभाल रखा था
एक चेहरा जिसे आईना समझ कर दिल मे सजा रखा था , क्या पता था हमारी आँखो के लिए उसने आँसू संभाल रखा था
एक चेहरा जिसे आईना समझ कर दिल मे सजा रखा था , क्या पता था हमारी आँखो के लिए उसने आँसू संभाल रखा था
एक चेहरा जिसे आईना समझ कर दिल मे सजा रखा था , क्या पता था हमारी आँखो के लिए उसने आँसू संभाल रखा था
राहत रही फ़िज़ूल जिंदगी मे , हर किसी ने उसके दिल को तोड़ा , फ़िर एक दिन कुदरत ने उसे दुनिया का मसीहा बना दिया
राहत रही फ़िज़ूल जिंदगी मे , हर किसी ने उसके दिल को तोड़ा , फ़िर एक दिन कुदरत ने उसे दुनिया का मसीहा बना दिया
हर शक्स को रही नाराज़गी हमसे , हर किसी का मग़र हमको ख़याल था
हर शक्स को रही नाराज़गी हमसे , हर किसी का मग़र हमको ख़याल था
राहत रही फ़िज़ूल जिंदगी मे , हर किसी ने उसके दिल को तोड़ा , फ़िर एक दिन कुदरत ने उसे दुनिया का मसीहा बना दिया
राहत रही फ़िज़ूल जिंदगी मे , हर किसी ने उसके दिल को तोड़ा , फ़िर एक दिन कुदरत ने उसे दुनिया का मसीहा बना दिया
हर शक्स को रही नाराज़गी हमसे , हर किसी का मग़र हमको ख़याल था
हर शक्स को रही नाराज़गी हमसे , हर किसी का मग़र हमको ख़याल था
किसी ने मेरे दर्द से मोहब्बत की और मुझे दर्द देकर शुक्रिया कह दिया मुझे
किसी ने मेरे दर्द से मोहब्बत की और मुझे दर्द देकर शुक्रिया कह दिया मुझे
किसी ने मेरे दर्द से मोहब्बत की और मुझे दर्द देकर शुक्रिया कह दिया मुझे
किसी ने मेरे दर्द से मोहब्बत की और मुझे दर्द देकर शुक्रिया कह दिया मुझे
टूट कर मांझी , सागर से किनारा कर लिया मग़र उसका हौसला हमेशा बुलंद रहा ।
टूट कर मांझी , सागर से किनारा कर लिया मग़र उसका हौसला हमेशा बुलंद रहा ।
टूट कर मांझी , सागर से किनारा कर लिया मग़र उसका हौसला हमेशा बुलंद रहा ।
टूट कर मांझी , सागर से किनारा कर लिया मग़र उसका हौसला हमेशा बुलंद रहा ।
अब कोई इंतजार नहीं , ना एहसास के वो साये हैं , जितना जिन्दा होता हूं, मरने की ख़्वाहिश , बढ़ती जाती है , और दिल टूटता जाता है ।
अब कोई इंतजार नहीं , ना एहसास के वो साये हैं , जितना जिन्दा होता हूं, मरने की ख़्वाहिश , बढ़ती जाती है , और दिल टूटता जाता है ।
अब कोई इंतजार नहीं , ना एहसास के वो साये हैं , जितना जिन्दा होता हूं, मरने की ख़्वाहिश , बढ़ती जाती है , और दिल टूटता जाता है ।
अब कोई इंतजार नहीं , ना एहसास के वो साये हैं , जितना जिन्दा होता हूं, मरने की ख़्वाहिश , बढ़ती जाती है , और दिल टूटता जाता है ।
जब भी उदास होकर पुकारा तुम्हें , तूम मेरे आस -पास थे
जब भी उदास होकर पुकारा तुम्हें , तूम मेरे आस -पास थे
जब भी उदास होकर पुकारा तुम्हें , तूम मेरे आस -पास थे
जब भी उदास होकर पुकारा तुम्हें , तूम मेरे आस -पास थे
बुक des -वो आग थी जो बूझ गई , ये पीर प्रेम की, जो जली , भी , औऱ बुझी भी नहीं
बुक des -वो आग थी जो बूझ गई , ये पीर प्रेम की, जो जली , भी , औऱ बुझी भी नहीं
वो आग थी जो बूझ गई , ये पीर प्रेम की, जो जली , भी , औऱ बुझी भी नहीं
वो आग थी जो बूझ गई , ये पीर प्रेम की, जो जली , भी , औऱ बुझी भी नहीं
कुछ नहीं पिरोया , अनहद नाद है , यूँ तो अनन्त रश्मियों से , सूरज कब से उग रहा है
कुछ नहीं पिरोया , अनहद नाद है , यूँ तो अनन्त रश्मियों से , सूरज कब से उग रहा है
कुछ नहीं पिरोया , अनहद नाद है , यूँ तो अनन्त रश्मियों से , सूरज कब से उग रहा है
कुछ नहीं पिरोया , अनहद नाद है , यूँ तो अनन्त रश्मियों से , सूरज कब से उग रहा है
दस रसों के सार से , काव्य कृत , हुई अंकुरित , शांत रस , के
उच्चाटन से , फ़िर निशांत हो गया कोई|
दस रसों के सार से , काव्य कृत , हुई अंकुरित , शांत रस , के
उच्चाटन से , फ़िर निशांत हो गया कोई|
दस रसों के सार से , काव्य कृत , हुई अंकुरित , शांत रस , के
उच्चाटन से , फ़िर निशांत हो गया कोई
दस रसों के सार से , काव्य कृत , हुई अंकुरित , शांत रस , के
उच्चाटन से , फ़िर निशांत हो गया कोई
अमर वो कर दे , कोई आग प्रज्वलित , तू ही है , यशस्वी
अमर वो कर दे , कोई आग प्रज्वलित , तू ही है , यशस्वी
शून्य सी रिक्त हो , जिंदगी जब तो सब कुछ , खाली -खाली सा लगता है ।
शून्य सी रिक्त हो , जिंदगी जब तो सब कुछ , खाली -खाली सा लगता है ।
शून्य सी रिक्त हो , जिंदगी जब तो सब कुछ , खाली -खाली सा लगता है ।
शून्य सी रिक्त हो , जिंदगी जब तो सब कुछ , खाली -खाली सा लगता है ।
अमर वो कर दे , कोई आग प्रज्वलित , तू ही है , यशस्वी
अमर वो कर दे , कोई आग प्रज्वलित , तू ही है , यशस्वी
मैंने कब कहा की इश्वर देखा पर जब उसे देखा वजह देखा
मैंने कब कहा की इश्वर देखा पर जब उसे देखा वजह देखा
मैंने कब कहा की इश्वर देखा पर जब उसे देखा वजह देखा
मैंने कब कहा की इश्वर देखा पर जब उसे देखा वजह देखा
जो बातें रही दिल में उसका एहसास किया आवर बातों ही बातों में किताब बन गई
जो बातें रही दिल में उसका एहसास किया आवर बातों ही बातों में किताब बन गई
जो बातें रही दिल में उसका एहसास किया आवर बातों ही बातों में किताब बन गई|
जो बातें रही दिल में उसका एहसास किया आवर बातों ही बातों में किताब बन गई|
Jindagi bhi yahi suna suna kagaj kagaj.
Jindagi bhi yahi suna suna kagaj kagaj.
Jindagi bhi yahi suna suna kagaj kagaj.
Jindagi bhi yahi suna suna kagaj kagaj.
Mn me jb bhi kuch byan hota hai to phir moun utrta hai
Mn me jb bhi kuch byan hota hai to phir moun utrta hai
Mn me jb bhi kuch byan hota hai to phir moun utrta hai
Mn me jb bhi kuch byan hota hai to phir moun utrta hai
Our bhi drata raha tha wo hunr mand wo drata gya maei nidr hota hi gya.
Our bhi drata raha tha wo hunr mand wo drata gya maei nidr hota hi gya.
Drd ka silsila km bhi nahi hota fir bhi aaj tk jung jari hai.
Drd ka silsila km bhi nahi hota fir bhi aaj tk jung jari hai.
Our bhi drata raha tha wo hunr mand wo drata gya maei nidr hota hi gya.
Our bhi drata raha tha wo hunr mand wo drata gya maei nidr hota hi gya.
Jahan tk najr gi gahryon me doobta hi gya thi samndr ki kwahis or maei boond bn kr dhlta hi raha.
Jahan tk najr gi gahryon me doobta hi gya thi samndr ki kwahis or maei boond bn kr dhlta hi raha.
Ae mout teri panah mile tera intazar mile kasmkas rahi in nigahon me hm murda hokr bhi zinda rahe nighon me1book
Ae mout teri panah mile tera intazar mile kasmkas rahi in nigahon me hm murda hokr bhi zinda rahe nighon me1book
Ae mout teri panah mile tera intazar mile kasmkas rahi in nigahon me hm murda hokr bhi zinda rahe nighon me 1book.
Ae mout teri panah mile tera intazar mile kasmkas rahi in nigahon me hm murda hokr bhi zinda rahe nighon me 1book.
Pukrta raha use me hr wakt.na samajh saki wo meri tadap.
Pukrta raha use me hr wakt.na samajh saki wo meri tadap.
Pukrta raha use me hr wakt.na samajh saki wo meri tadap.
Pukrta raha use me hr wakt.na samajh saki wo meri tadap.
Thi wo meri arzoo thi meri wo justazu na mili tb drd hi kuch aisa tha.
Thi wo meri arzoo thi meri wo justazu na mili tb drd hi kuch aisa tha.
Thi wo meri arzoo thi meri wo justazu na mili tb drd hi kuch aisa tha
Thi wo meri arzoo thi meri wo justazu na mili tb drd hi kuch aisa tha
Hr bar chahta hai , mera dil teri ruh me sama kr tujhe apna gm btata.
Hr bar chahta hai , mera dil teri ruh me sama kr tujhe apna gm btata.
Unki najmo me jo likha behtr likha , lekin jo hmne likha uska ehsas hai unhe.
Unki najmo me jo likha behtr likha , lekin jo hmne likha uska ehsas hai unhe.
Yun to hoon mojud bhid me magr koi sunapan bhi mujhe presan krta hai.
Yun to hoon mojud bhid me magr koi sunapan bhi mujhe presan krta hai.
Yun to hoon mojud bhid me magr koi sunapan bhi mujhe presan krta hai.
Yun to hoon mojud bhid me magr koi sunapan bhi mujhe presan krta hai.
Hr hal me jinda hoon magr koi apna sa chehra najar nahi ata.
Hr hal me jinda hoon magr koi apna sa chehra najar nahi ata.
Hr hal me jinda hoon magr koi apna sa chehra najar nahi ata.
Hr hal me jinda hoon magr koi apna sa chehra najar nahi ata.
Jl raha sahr sub kuch ho raha rakh jra thahr...
Jl raha sahr sub kuch ho raha rakh jra thahr...
Yun to chl raha hr saks bekhudhi me koi tisri ankh bhi hogi is basr me.
Yun to chl raha hr saks bekhudhi me koi tisri ankh bhi hogi is basr me.
Yun to chl raha hr saks bekhudhi me koi tisri ankh bhi hogi is basr me
Yun to chl raha hr saks bekhudhi me koi tisri ankh bhi hogi is basr me
Bahut pyr kiya tughe o sanam our too bhi bewafa nikla.
Bahut pyr kiya tughe o sanam our too bhi bewafa nikla.
Our kya kahu tera our mere drmiya dil bhi dil nahi raha .....
Our kya kahu tera our mere drmiya dil bhi dil nahi raha .....
Our kya kahu tera our mere drmiya dil bhi dil nahi raha .....
Our kya kahu tera our mere drmiya dil bhi dil nahi raha .....
Adi kal se wrtman tak jo bhi likha gya our jo ab likha ja raha ko meri yh kitab samrpit hai...
Adi kal se wrtman tak jo bhi likha gya our jo ab likha ja raha ko meri yh kitab samrpit hai...
Adi kal se wrtman tak jo bhi likha gya our jo ab likha ja raha ko meri yh kitab samrpit hai...
Adi kal se wrtman tak jo bhi likha gya our jo ab likha ja raha ko meri yh kitab samrpit hai...
Jb bhi sanghrsh hota hai jeevan me seemao ko thodna padta hai prahar krna hota hai
Jb bhi sanghrsh hota hai jeevan me seemao ko thodna padta hai prahar krna hota hai
Jaha pr ant hota hai anant ki sambhawna badh jati hai --
Jaha pr ant hota hai anant ki sambhawna badh jati hai --
Jane koun si tadap hai hr pl uska rudan hai .....
Jane koun si tadap hai hr pl uska rudan hai .....
Jane koun si tadap hai hr pl uska rudan hai .....
Jane koun si tadap hai hr pl uska rudan hai .....
Jb bhi sanghrsh hota hai jeevan me seemao ko thodna padta hai prahar krna hota hai.
Jb bhi sanghrsh hota hai jeevan me seemao ko thodna padta hai prahar krna hota hai.
Ankho se gir raha hoon maei ya ankho se koi boond giri
Ankho se gir raha hoon maei ya ankho se koi boond giri
Meri kalam ka paglpn bs bhr diye hain usse ehsas sadgi se.
Meri kalam ka paglpn bs bhr diye hain usse ehsas sadgi se.
Sari duniya kr rahi shikyat yahan hr admi beiman hai.
Sari duniya kr rahi shikyat yahan hr admi beiman hai.
Sari duniya kr rahi shikyat yahan hr admi beiman hai.
Sari duniya kr rahi shikyat yahan hr admi beiman hai.
Chand pr dag laga suraj pr grahan sara jahan hai klushit sa.
Chand pr dag laga suraj pr grahan sara jahan hai klushit sa.
Dil toota hua tanhyan besumar udas rahun nahi to our kya krun.
Dil toota hua tanhyan besumar udas rahun nahi to our kya krun.
Dil toota hua tanhyan besumar udas rahun nahi to our kya krun.
Dil toota hua tanhyan besumar udas rahun nahi to our kya krun.
Too itni khoobsurat hai too meri menka hai.......
Too itni khoobsurat hai too meri menka hai.......
Too itni khoobsurat hai too meri menka hai.......
Too itni khoobsurat hai too meri menka hai.......
Kahna to bahut chaha pr hamari baten dil tk rahi.
Kahna to bahut chaha pr hamari baten dil tk rahi.
Suraj jl raha hai tapan hai tapish hai bujha bujha sa
Suraj jl raha hai tapan hai tapish hai bujha bujha sa
Suraj jl raha hai tapan hai tapish hai bujha bujha sa
Suraj jl raha hai tapan hai tapish hai bujha bujha sa
Jab manav dukhi hokr jeevan se bhagne lagta hai to phir uske sanghrsh se waruni ki sarita prwahit hone lagti hai.
Jab manav dukhi hokr jeevan se bhagne lagta hai to phir uske sanghrsh se waruni ki sarita prwahit hone lagti hai.
Manush apno our pryon ke sath rahte hue anek bar kruna ras me doob jata hai wanha se suru hoti hai atma me ghav banne ki kriya inhi alfazon ke sath yh kitab pathko ko samprit hai.
Manush apno our pryon ke sath rahte hue anek bar kruna ras me doob jata hai wanha se suru hoti hai atma me ghav banne ki kriya inhi alfazon ke sath yh kitab pathko ko samprit hai.
Meri yah kitab dunia me rahne wale manav ke upr kendrit hai jo jiveet manovigyan pr adharit hain.
Meri yah kitab dunia me rahne wale manav ke upr kendrit hai jo jiveet manovigyan pr adharit hain.
Bola gya na hmse khamosh rahe hm awaj ki trah.
Bola gya na hmse khamosh rahe hm awaj ki trah.
Mout ke bad zindagi asan ho gi jinda rahe to bs murda ki trah.
Mout ke bad zindagi asan ho gi jinda rahe to bs murda ki trah.
Manush apno our pryon ke sath rahte hue anek bar kruna ras me doob jata hai wanha se suru hoti hai atma me ghav banne ki kriya inhi alfazon ke sath yh kitab pathko ko samprit hai.
Manush apno our pryon ke sath rahte hue anek bar kruna ras me doob jata hai wanha se suru hoti hai atma me ghav banne ki kriya inhi alfazon ke sath yh kitab pathko ko samprit hai.
Jab manav dukhi hokr jeevan se bhagne lagta hai to phir uske sanghrsh se waruni ki sarita prwahit hone lagti hai.
Jab manav dukhi hokr jeevan se bhagne lagta hai to phir uske sanghrsh se waruni ki sarita prwahit hone lagti hai.
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जी भर कर देख ले मुझे यार जज्बात प्यार के , एहसास यार के  Read More...
आज मैं कितना अकेला चूभ रहा मेरे दिल , मे कोइ कांटा , कोइ नही पास म Read More...
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